कर्त्तव्य पालन पर निबन्ध | essay on duty in hindi

 

 कर्त्तव्य पालन पर निबन्ध | essay on duty in hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम कर्त्तव्य पालन पर निबन्ध इस विषय पर निबंध जानेंगे। हमने भारत में जन्म लिया है। हम यहाँ की धरती में पैदा होनेवाले अनाज, फल आदि खाते हैं। इस देश के जलाशयों का जल पीते हैं। यहाँ के वातावरण में साँस लेते हैं। इस देश के निवासी हमारे व्यक्तित्व के निर्माण एवं विकास में सहयोग देते हैं। 



इन सारी बातों को देखते हुए हमारा परम कर्तव्य हो जाता है कि हम अपने देश के प्रति कृतज्ञता की भावना रखें। हमें अपने देश की प्रगति के लिए अपना तन-मन-धन न्योछावर करने को हमेशा तैयार रहना चाहिए। स्वदेश-सेवा को हमें अपना सबसे बड़ा कर्तव्य समझना चाहिए। 



हमें सदा स्मरण रखना चाहिए कि जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान होती हैं-'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।' अपने देश की सेवा कैसे की जाए? यह जानने के पहले हमें अपने देश के बारे में अच्छी तरह जान लेना चाहिए।



अपने देश का भौगोलिक विस्तार, उसमें स्थित पर्वत, नदियाँ, उसकी जलवायु, संस्कृति, सभ्यता, उसमें निवास करनेवाले लोग आदि सभी हमारे हैं और हम उनके हैं। इसलिए अपने देश की सेवा और स्वदेशवासियों के कल्याण के लिए प्रयत्न करना हमारा परम कर्तव्य है।



जैसे बहुत-सी ईंटों को मिलाकर एक इमारत की रचना की जाती है, उसी प्रकार किसी राष्ट्र के सभी निवासियों के सहयोग से उस देश या राष्ट का निर्माण होता है। यदि किसी राष्ट्र के सभी निवासी अपने-अपने कर्तव्य का पालन करें तो उनके द्वारा सच्चे अर्थों में देशसेवा हो सकती है। 



हम भारत के अच्छे नागरिक हैं, इस दृष्टि से विचार करें कि हमारा कर्तव्य क्या है और उसका पालन करने से किस प्रकार देशसेवा हो सकती है? हमारे देश में अलग-अलग धर्मों को माननेवाले लोग रहते हैं। इस देश में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं।



देश के भिन्न-भिन्न भागों में रहनेवाले लोग अलग-अलग प्रकार की वेशभूषा धारण करते हैं। उनके रीति-रिवाजों में भी काफी अंतर पाया जाता है। इन सारी विविधताओं के रहते हए भी हम सभी एकता के सूत्र में बँधे हुए हैं। इस विशाल देश की प्रगति एवं विकास के लिए इस एकता के सूत्र का मजबूत होना बहुत जरूरी है। यह तभी हो सकता है,



 जब यहाँ के सभी नागरिकों के बीच भाईचारा हो और वे सूझबूझ के साथ आपस में मिलजुलकर रहें। इसके लिए जरूरी है कि हम सभी धर्मों और संप्रदायों के प्रति आदर की भावना रखें और सर्व धर्म समभाव' के सिद्धांत का अनुसरण करें। इससे हमारे देश में शांति और सुव्यवस्था बनी रहेगी और देश प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ता रहेगा।



हमारे देश में प्रजातंत्रात्मक शासन-व्यवस्था है। अपनी विशाल जनसंख्या के कारण यह देश संसार का सबसे बड़ा प्रजातंत्र माना जाता है। इस प्रजातंत्रात्मक शासन प्रणाली की सफलता के लिए हमें इस देश के संविधान का पूरी तरह पालन करना चाहिए। हमारे देश के संविधान ने जनता के हाथों में सत्ता सौंपी है।



इस देश के हर व्यक्ति को चाहिए कि वह इस देश के प्रजातंत्र को सफल बनाने में अपना पूरा सहयोग दे और उसे सशक्त बनाए।


हमारे देश में बहुत अधिक निरक्षरता रही है। सारी कोशिशों के बावजूद आज भी साक्षरता का प्रतिशत केवल ६५.३८ तक ही पहुँच सका है। हमारा कर्तव्य है कि हम अधिक से अधिक व्यक्तियों को साक्षर बनाएँ, जिससे वे खुद उन्नति करें और देश की प्रगति में भी सहयोग दें। इससे हमारे देश में फैले धार्मिक पाखंडों, अंधविश्वासों, कुरीतियों आदि को भी मिटाने में काफी सहायता मिलेगी।



देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए सरकार द्वारा कानून बनाए जाते हैं। हमारा कर्तव्य है कि हम इन कानूनों का पूरी तरह पालन करें। इससे देश की अधिकाधिक प्रगति हो सकेगी। संभव है, इनमें से कुछ कानून हमें पसंद न हों। ऐसी स्थिति में हमें 



अपना विरोध शांतिपूर्ण ढंग से, प्रजातांत्रिक पद्धति के अनुसार प्रकट करना चाहिए। कानून तोड़ने या उसकी उपेक्षा करने से दूर रहना चाहिए। यही हमारी सच्ची देशसेवा होगी।


संसार के इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं, जब देशसेवा अथवा देशभक्ति की संकुचित भावना मानवजाति के लिए बहुत हानिकारक साबित हुई है। चंगेज खाँ, तैमूर लंग, हिटलर, मुसोलिनी, तोजो आदि के मानवता-विरोधी कारनामों को कौन नहीं जानता?


इसलिए हमारा यह भी कर्तव्य हो जाता है कि हम देशसेवा अथवा देशभक्ति को संपूर्ण मानवजाति का हित करने का साधन मात्र मानें और 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के आदर्श को हमेशा अपनी आँखों के सामने रखें। अपने इस कर्तव्य का पालन करके ही हम सही अर्थों में देशसेवा कर सकेंगे। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।