यदि मैं शिक्षा मंत्री होता तो हिंदी निबंध | if i was education minister essay in hindi

 

 यदि मैं शिक्षा मंत्री होता तो हिंदी निबंध | if i was education minister essay in hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम यदि मैं शिक्षा मंत्री होता तो हिंदी निबंध इस विषय पर निबंध जानेंगे। शिक्षा का जीवन से घनिष्ठ संबंध है। शिक्षा के अभाव में व्यक्ति का जीवन कर्णधारविहीन नौका की तरह दिशाशून्य हो जाता है। अशिक्षित व्यक्ति अपने गुणों का विकास नहीं कर पाता और समाज में उपेक्षित बन जाता है। शिक्षा से ही मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास होता है, उसके विचारों में निखार आता है और वह अपने समाज तथा देश की प्रगति में सहायता कर पाता है।


यदि मैं शिक्षामंत्री होता, तो शिक्षा के प्रसार के लिए भरसक कोशिश करता। मैं प्राथमिक शिक्षा पर विशेष ध्यान देता, क्योंकि मैं मानता हूँ कि प्राथमिक शिक्षा सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। अच्छी प्राथमिक शिक्षा की नींव पर ही व्यक्ति के सुदृढ़ व्यक्तित्व का निर्माण हो सकता है।


 इस गरीब देश में बहुत-से विद्यार्थी अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करते-करते पढ़ाई-लिखाई छोड़कर जीविका कमाने के लिए बाध्य हो जाते हैं। ऐसे विद्यार्थियों के लिए प्राथमिक शिक्षा ही उनके भावी जीवन का सहारा बनती है। इसलिए मैं अच्छी प्राथमिक शिक्षा देने पर ध्यान देता।


मैं इस बात की यथाशक्ति कोशिश करता कि माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर विद्यार्थियों को उनकी रुचि और योग्यता के अनुसार ही शिक्षा दी जाए। मैं इसी स्तर पर पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा को भी शामिल करता, जिससे माध्यमिक शिक्षा समाप्त कर पढ़ाई-लिखाई छोड़ देनेवाले विद्यार्थियों को अपनी जीविका कमाने में कठिनाई का सामना न करना पड़े।


हमारे देश में स्कूलों और कॉलेजों में प्रवेश पाने के इच्छुक विद्यार्थियों की कतारें हर साल अधिकाधिक लंबी होती जा रही हैं। यदि मैं शिक्षामंत्री होता, तो इस ज्वलंत समस्या को हल करने के लिए आवश्यकतानुसार नए विद्यालय और महाविद्यालय जरूर खुलवाता।


मैं विद्यालयों के संचालकों को अनुमति दिलाने की व्यवस्था करवाता कि वे अपनी इमारतों में एकाध मंजिल और जुड़वा लें, ताकि विद्यार्थियों की प्रवेश संबंधी समस्या कुछ अंशों तक हल हो सके।


स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। इस तथ्य को ध्यान में रखकर मैं प्राथमिक विद्यालयों से लेकर विश्वविद्यालयों तक हर स्तर पर, पाठ्यक्रम में शारीरिक शिक्षा तथा खेल-कूद का समावेश अवश्य करवाता। इस देश में लगभग हर अभिभावक अपने पुत्र या पुत्री को डॉक्टर अथवा इंजीनियर बनाना चाहता है।



अभिभावकों की इस कमजोरी का अनुचित लाभ उठाकर बहुत-से लोगों ने मेडिकल या इंजीनियरिंग कॉलेज खोल दिए हैं। इनमें दान के रूप में भारी-भारी रकमें लेकर विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है। यदि मैं शिक्षामंत्री होता, तो शिक्षा के इस व्यवसायीकरण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाता।



आज भी हमारे देश में प्रौढ़ स्त्री-पुरुषों में साक्षरता का प्रतिशत बहुत कम है। यदि मैं शिक्षामंत्री होता, तो प्रौढ़ शिक्षा पर विशेष जोर देता। स्त्री शिक्षा के अधिकाधिक प्रसार के लिए मैं लगातार प्रयत्न करता और लड़कियों के लिए विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा नि:शुल्क करा देता।



आजकल हमारे महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में कुटिल राजनीति का प्रवेश हो गया है। यदि मैं शिक्षामंत्री होता, तो शिक्षा के क्षेत्र में राजनीति के प्रवेश को कड़ाई के साथ रोकता। मैं जरूरतमंद लेकिन होनहार विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्तियों का प्रबंध करवाता। मैं शिक्षकों तथा शिक्षकेतर कर्मचारियों को संतुष्ट रखने के यथासंभव प्रयत्न करता। 


मैं शिक्षकों को निरंतर प्रेरित करता रहता कि वे इस देश के विद्यार्थियों को सुशिक्षित बनाने में अपनी सारी शक्ति लगाएँ। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।