काल करे सो आज कर पर निबंध | Kal Kare So Aaj Kar Essay in Hindi

 

 काल करे सो आज कर पर निबंध | Kal Kare So Aaj Kar Essay in Hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम काल करे सो आज कर पर निबंध इस विषय पर निबंध जानेंगे। काल करै सो आज कर, आज करै सो अब्ब। पल में परलय होयगा, बहुरि करैगो कब्ब।। इसका तात्पर्य है कि हमने जिस काम को कल करने का विचार किया है, उसे आज ही पूरा कर लेना चाहिए। जिस काम को आज करना है, उसे तुरंत शुरू कर देना चाहिए। पता नहीं, किस क्षण हमारी आयु समाप्त हो जाए और हमें अपनी योजनाएँ पूरी करने का अवसर ही न मिले।



इस दोहे में समय के महत्त्व पर विशेष बल दिया गया है। इस संसार में समय ही सबसे ज्यादा कीमती है। जो क्षण बीत जाता है, वह फिर लौटकर कभी नहीं आता। समयबीतने के साथ-साथ मनुष्य की आयु भी कम होती जाती है। जो लोग समय का महत्त्व जानते हैं और हाथ आये अवसर का सदुपयोग कर लेते हैं, वे ही इतिहास के पृष्ठों पर अपना नाम अंकित कर सकते हैं।



मनुष्य का जीवन क्षणभंगुर है। कब दबे पैरों आकर मृत्यु उसकी जीवनलीला समाप्त कर देगी, कहना असंभव है। अपने इस छोटे से जीवन में उसे सुशिक्षित बनना है और अपना आर्थिक विकास करना है। अपने पुत्र-पुत्रियों को समाज, देश तथा विश्व की प्रगति में योगदान कर सकने योग्य बनाना है। 



ये उत्तरदायित्व पूरे कर उसे अपने समाज, देश और विश्व के ऋण से उऋण होना है तथा भावी पीढ़ी के सामने सफल जीवन का आदर्श रखना है। क्या समय की उपेक्षा करने पर वह इन सारी जिम्मेदारियों का समुचित रूप से निर्वाह कर सकेगा? यह तो तभी संभव हो सकेगा, जब वह कल के लिए टाला हुआ काम आज ही पूरा करने के लिए कमर कस लेगा और आज किए जानेवाले काम को अभी पूरा करने में जुट जाएगा।




वर्तमान युग में चारों ओर ज्ञान का विस्फोट हो रहा है। ज्ञान-विज्ञान की इतनी शाखा-प्रशाखाएँ फैलती जा रही हैं कि उनमें से किसी एक की भी पूरी-पूरी जानकारी प्राप्त कर लेना सामान्य मनुष्य के लिए असंभव है। 



संस्कृत के सुभाषितकार ने कहा है- 'न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते'- इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र अन्य कोई वस्तु नहीं है। यदि हम वास्तव में इस सुभाषित में विश्वास करते हैं, तो हमें आलस्य छोड़कर ज्ञान प्राप्त करने में जुट जाना चाहिए।



एक बार महाराज युधिष्ठिर के द्वार पर एक याचक आया। युधिष्ठिर ने दूसरे दिन दान देने का आश्वासन देकर याचक को लौटा दिया। उस समय भीम वहाँ उपस्थित थे। याचक के जाते ही भीम ने जोर-जोर से नगाड़े बजवाना शुरू कर दिया।


जब युधिष्ठिर ने भीम से शोर करने का कारण पूछा, तो भीम ने उत्तर दिया कि आपने दान देने के लिए याचक को कल बुलाया है। आपको पूरा विश्वास है कि कल इस समय तक आप जीवित रहेंगे। इसका अर्थ यह है कि कम से कम एक दिन के लिए आपने काल को जीत लिया है। 


इसी खुशी में मैंने नगाड़े बजवाए हैं। युधिष्ठिर अपनी भूल पर लज्जित हो गए। वास्तव में कल पर भरोसा करना अपने अज्ञान का परिचय देना है। कल आए, न आए। इसलिए हमें जो कुछ करना है, आज ही कर लेना चाहिए।


हमें चाहिए कि हम आलस्य त्यागकर उठ खड़े हों और कर्मठता का बाना पहन लें। शुभस्य शीघ्रम्-श्रेष्ठ यही है कि कल का काम आज ही पूरा कर लें और आज का अभी। आलस्य की नींद में पड़े रहकर समय नष्ट करेंगे, तो निर्दयी समय हमें ही नष्ट कर देगा। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।