नारी पर अत्याचार पर निबंध | nari par atyachar essay in hindi

 

 नारी पर अत्याचार पर निबंध | nari par atyachar essay in hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम नारी पर अत्याचार पर निबंध इस विषय पर निबंध जानेंगे। मानव-जीवन में स्त्री और पुरुष, दोनों का स्थान समान रूप से महत्त्वपूर्ण है। गृहस्थी की गाड़ी के पुरुष और स्त्री रूपी दो पहिए हैं। यदि इनमें से एक भी पहिया छोटा या बड़ा होता है, तो गृहस्थी की गाड़ी लड़खड़ा जाती है। इस सत्य का अनुभव कर भारत के ऋषियों, मनीषियों, पुरोहितों, कवियों तथा साहित्यकारों ने समाज में स्त्री को उच्च स्थान देने का विधान किया है।



प्राचीन काल में अनेक विदुषी नारियों ने समाज में पर्याप्त प्रतिष्ठा पाई थी। इनमें गार्गी, मैत्रेयी, शकुंतला, सीता आदि के नाम तो प्रात:स्मरणीय बन गए हैं।



यह बड़े ही आश्चर्य की बात है कि नारी को पूज्य माननेवाले इस भारतीय समाज में आज नारियों के प्रति अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। किसी भी दिन का समाचारपत्र उठा लीजिए, आपको दहेज की बलि चढ़नेवाली सियों, आत्महत्या के लिए विवश की जानेवाली नारियों, बलात्कार का शिकार बननेवाली अभागिनियों की मर्मांतक घटनाएँ पढ़ने को मिल जाएँगी। इन जघन्य कृत्यों को रोकने के लिए सारा समाज प्रयत्नशील है।



सरकार अनेक प्रकार के कानून बना रही है, लेकिन स्त्रियों पर अत्याचार बढ़ते ही जा रहे हैं। भारतीय स्त्री के प्रति दिनोदिन बढ़ते अत्याचारों के क्या कारण हैं? सबसे पहले दहेज की बलिवेदी पर चढ़ा दी जानेवाली नारियों को लें। बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पश्चिमी देशों के अंधानुकरण में हमारे देश में भी भोगवादी संस्कृति पनपने लगी। 



साधारण लोगों में रंगीन टेलीविजन, फ्रिज, मोटरकार आदि महँगी भोग-सामग्रियाँ प्राप्त करने की ललक बढ़ रही है। अपनी कामना साकार करने का उन्हें एकमात्र मार्ग दिखाई देता है-विवाह में कन्यापक्ष से दहेज के रूप में मनोवांछित वस्तुएँ ऐंठना। 




विवाह में न मिलें तो विवाह के बाद नववधू को अपने मायके से ये वस्तुएँ लाने के लिए विवश करना। यदि प्रताड़ना से भी सफलता न मिले, तो नववधू को आत्महत्या के लिए प्रेरित करना या स्वयं ही उसके जीवन का अंत कर देना।




उन्हें आशा रहती है कि पुनर्विवाह द्वारा वे कन्यापक्ष से मनचाही चीजें पा सकेंगे। उन्हें यह भी विश्वास रहता है कि इस प्रकार के अपराध करने पर भी वे कानून द्वारा दंडित किए जाने से बच ही जाएँगे। बलात्कार की शिकार होनेवाली अभागिनी स्त्रियों का सारा जीवन ही बरबाद हो जाता है। 



जैसे-जैसे भारतवासी अमेरिका और पश्चिमी देशों की भौतिकवादी सभ्यता की ओर आकृष्ट होते जा रहे हैं, इस

देश में हताश और कुंठाग्रस्त मनोरोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे मनोरोगी अपनी कुंठाओं से मुक्ति पाने के लिए यौन अपराधों की ओर बढ़ते हैं।



हमारे देश में व्याप्त अशिक्षा और अंधविश्वास भी अपराधी मनोवृत्ति का निर्माण करते हैं। सरकार ने इन अपराधों की रोकथाम के लिए जो कानून बनाए हैं, उनमें भी अनेक त्रुटियाँ हैं। उनके कारण अपराधी बेदाग छूट जाता है। इस कारण भी भारतीय समाज में स्त्रियों के प्रति अत्याचार बढ़ रहे हैं।



भारतीय समाज में स्त्रियों के प्रति अत्याचारों के बढ़ने का एक बड़ा कारण उनका अशिक्षित या अल्पशिक्षित होना है। आज भी हमारे देश में नारी-शिक्षा का प्रतिश बहुत कम है।



नारियों की अशिक्षा अथवा अल्पशिक्षा के कारण उन्हें पुरुषों की दया पर निर्भर रहना पड़ता है। उनमें अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए संघर्ष करने की हिम्मत नहीं रहती। इसके फलस्वरूप, वे अपने अधिकारों से वंचित रह जाती हैं और सभी प्रकार के अत्याचारों को चुपचाप सहन करती रहती हैं।




स्त्रियों पर होनेवाले इन अत्याचारों की रोकथाम के लिए जो कानून बनाए गए हैं, उनकी त्रुटियाँ दूर करनी चाहिए। भोगवादी संस्कृति के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए प्राचीन भारतीय आदर्शों को फिर से स्थापित करना होगा। 




नई पीढ़ी को मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा करनेवाली शिक्षा देनी होगी। स्त्रियों के मन में आत्मगौरव की भावना जगानी होगी। उन्हें एकजुट होकर अत्याचारियों का प्रतिकार करने और मुसीबत में पड़ी अन्य नारियों की सहायता करने की शिक्षा देनी होगी। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।