दूरदर्शन एक अभिशाप हिंदी निबंध | television curse essay in hindi

 

 दूरदर्शन एक अभिशाप हिंदी निबंध | television curse essay in hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम  दूरदर्शन एक अभिशाप हिंदी निबंध इस विषय पर निबंध जानेंगे। वर्तमान युग वैज्ञानिक चमत्कारों का युग है। वैज्ञानिक आविष्कारों ने मानव जीवन को सुख-समृद्धि से परिपूर्ण कर दिया है। दूरदर्शन भी विज्ञान की एक महान देन है। इसने हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पर बहुत गहरा प्रभाव डाला है।



दूरदर्शन मनोरंजन तथा ज्ञानवर्धन का सर्वाधिक लोकप्रिय साधन है। यह शिक्षा का श्रेष्ठ माध्यम है। औद्योगिक प्रतिष्ठानों के लिए दूरदर्शन विज्ञापन का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है। मनुष्य के जीवन के एकाकीपन को दूर करने के लिए दूरदर्शन एक महत्त्वपूर्ण साधन है।



किंतु सिक्के का दूसरा पहलू भी है। दूरदर्शन से होनेवाली हानियाँ भी कम नहीं हैं। सबसे पहले तो दूरदर्शन से होनेवाली समय की बरबादी पर हमारा ध्यान जाता है। दूरदर्शन के कार्यक्रमों के मायाजाल में उलझकर लोग अपना काफी समय बरबाद कर देते हैं। 



पर, बच्चे, किशोर तथा गृहिणियाँ एक के बाद एक धारावाहिक देखती ही रहती हैं। कभी-कभी तो अपनी भाषा के अलावा दूसरी भाषाओं में पेश किए जानेवाले कार्यक्रम भी लोग पूरे मनोयोग से देखते रहते हैं, भले ही उनका एक शब्द भी उनकी समझ में न आता हो।



दूरदर्शन बच्चों तथा किशोरों का प्रमुख आकर्षण केंद्र बन गया है। दूरदर्शन पर प्रसारित किए जानेवाले कार्यक्रमों के लिए वे अपनी पढ़ाई-लिखाई, खेल-कूद आदि की पूरी तरह उपेक्षा कर देते हैं। उनकी इस प्रवृत्ति का उनकी पढ़ाई-लिखाई पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। 



परीक्षा में वे अच्छे अंक प्राप्त नहीं कर पाते या कभी-कभी अनुत्तीर्ण भी हो जाते हैं। इससे उनकी प्रगति रुक जाती है और कभी-कभी तो वे पढ़ाई-लिखाई की ओर से हमेशा के लिए मुँह मोड़ लेते हैं।



बच्चों और किशोरों का मस्तिष्क अपरिपक्व होता है। उनके मन पर दूरदर्शन के कार्यक्रमों का इतना आकर्षण होता है कि वे उसके परदे के बिलकुल नजदीक जाकर बैठ जाते हैं। बार-बार समझाने पर भी कि इससे तुम्हारी आँखें खराब हो जाएँगी, वे ध्यान नहीं देते और दूरदर्शन के समीप डटे ही रहते हैं। 



इसके अलावा दूरदर्शन पर पेश किए जानेवाले कार्यक्रमों को बच्चे, किशोर और गृहिणियाँ सच मान लेती हैं और उनके अनुसार प्रत्यक्ष जीवन में व्यवहार करने पर आमादा हो जाती हैं। इससे काफी परेशानी होती है और कभी-कभी तो घरेलू जीवन में भूचाल-सा आ जाता है।



इस देश में दूरदर्शन के कार्यक्रमों पर सरकारी नियंत्रण है। अनेक कारणों से वे नीरस और उबाऊ होते हैं। इसलिए लोग जी. टी. वी., सोनी, सी.वी. ओ., स्टार प्लस आदि चैनलों पर प्रसारित किए जानेवाले कार्यक्रम देखना पसंद करते हैं।


शहरों में लगभग हर घर में 'केबल' की व्यवस्था हो गई है। उसकी सहायता से बच्चे-बूढे, सभी इन विदेशी टेलिविज़न कंपनियों द्वारा प्रसारित होनेवाले कार्यक्रमों का आनंद उठाते हैं। किंत इन चैनलों पर आनेवाले कार्यक्रम प्रायः अश्लील और मार-धाड़ से भरपूर होते हैं।



कभी-कभी तो उनकी अश्लीलता सीमा पार कर जाती है और हिंसापूर्ण दृश्य रोंगटे खड़े कर देते हैं। इसका बच्चों और किशोरों के मन पर अमिट प्रभाव पड़ता है और वे उन दृश्यों को प्रत्यक्ष जीवन में भी उतारने की कोशिश करने लगते हैं।


धारावाहिक 'शक्तिमान' के दश्यों से प्रभावित होकर कितने ही बच्चों ने अपने हाथ-पैर तुड़वाए हैं और कुछ ने तो जान तक गवाँ दी है। दूरदर्शन ने एक और नई समस्या पैदा कर दी है। इसके माध्यम से लोगों का घर बैठे ही मनोरंजन हो जाता है।


इससे उनकी क्रियाशीलता कुंठित हो गई है। वे जीवन की छोटी-छोटी बातों का आनंद नहीं उठा पाते। वे न तो प्रकृति की सुंदरता देखकर मुग्ध होते हैं, न उसकी सराहना कर पाते हैं। 



हिंसापूर्ण और मार-धाड़ से भरे कार्यक्रम देखते-देखते बच्चों और युवापीढ़ी की संवेदनशीलता ही समाप्त हो चली है। वे अपने चारों ओर फैले दुख, कष्ट और अन्याय के वातावरण के प्रति उदासीन बनते जा रहे हैं।किंतु अनेक कारणों से दूरदर्शन का महत्त्व बढ़ता जा रहा है। 



ऐसी स्थिति में, दूरदर्शन के आयोजकों को ऐसे कार्यक्रम प्रसारित करने चाहिए जो सुरुचिसंपन्न हों, जिनसे भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर आघात न हो और जो लोगों का सही मार्गदर्शन कर सकें। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।