यदि हम आजाद न होते हिंदी निबंध | Yadi ham azad na hote hindi nibandh

 

यदि हम आजाद न होते हिंदी निबंध | Yadi ham azad na hote hindi nibandh

नमस्कार  दोस्तों आज हम यदि हम आजाद न होते हिंदी निबंध इस विषय पर निबंध जानेंगे। आजादी मिलने की आधी शताब्दी बीत जाने के बाद भी यह कल्पना करना बहुत दुखदायी लगता है कि हम आजाद न होते, तो हमारी कैसी स्थिति होती? गुलामी की जंजीरों में जकड़े रहने पर संपूर्ण देश और समाज की प्रगति कुंठित हो जाती है। इसी तथ्य को प्रकट करते हुए गोस्वामी तुलसीदासजी कहते हैं-' पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।'


आजादी मिलने के बाद हमारे देश ने हर क्षेत्र में आशातीत प्रगति की है। जब हमें १९४७ में आजादी मिली तो उस समय हमारे देशवासियों की औसत आयु केवल ३२ वर्ष थी। आज यह आयु ६२ वर्ष हो चुकी है। इसका कारण यह है कि हमने चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत प्रगति की है। यदि हम आजाद न हुए होते. तो इस प्रकार की प्रगति कैसे हो पातो?


आजादी मिलने के समय हमारे देश को साक्षरता को दर केवल १८.३३ प्रतिशत थी। सन २००१ मे यह दर ६५.३८ प्रतिशत तक पहुंच गई है।


 १९४७ के बाद शिक्षा के क्षेत्र में अनेक कल्याणकारी योजनाएं लागू की गई है और बेकारी दर करने के लिए तकनीकी शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया है। यदि हम आजाद न होते. तो क्या इस प्रकार की क्रांतिकारी उपलब्धि हो पातो? तब हम विदेशी शासकों को शिक्षा-पद्धति के अनुसार केवल बाबूगीरी करने लायक हो बन पाते।


हमारे देश का दलित वर्ग तथा महिला समाज अधिकांशत: शिक्षा के लाभ से वंचित ही रह जाता। परतंत्र भारत में कृषि का विकास भी नहीं के बराबर था। आजादी मिलने के बाद कई वर्षों तक हमारे देश को विदेशो से अनाज मंगाना पड़ता था। 


हमारे देश के वैज्ञानिकों और किसानों ने अथक परिश्रम करके हरित क्रांति' को। अब हमारा देश विदेशों को अनाज का निर्यात भी करने लगा है। यदि हम आजाद न होते. तो इस प्रकार की प्रगति की बात सोच भी नहीं सकते थे। परतंत्र रहने पर हम पेट भरने के लिए विदेशों के मोहताज बने रहते और बार-बार हमें अपमान के कड़वे पूंट पीने पड़ते।



१९४७ के पूर्व हमारे देश से केवल कच्चे माल का निर्यात किया जाता था। हमारे व्यापारिक संबंध केवल ब्रिटेन और अमेरिका तक ही सीमित थे। आज हमारा देश भारी मात्रा में तैयार माल का निर्यात कर रहा है। अब संसार के लगभग सभी देशों के साथ हमारे व्यापारिक संबंध कायम हो गए हैं। 


यदि हम आजाद न हुए होते, तो इस प्रकार की प्रगति कदापि न कर पाते। तब हम विदेशी शासकों की कृपा पर आश्रित रहते, जिनकी एकमात्र नीति हमारे देश का मनमाना आर्थिक शोषण करने की थी। इस समय जो आर्थिक विकास दिखाई दे रहा है,।


परतंत्र भारत में उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। यदि हम आजाद न होते, तो आज सारा देश घोर गरीबी के तले कराह रहा होता



आज विश्व के मंच पर हमारे देश की आवाज ध्यान से सुनी जाती है। आजाद होने के बाद हमने दूसरे गुलाम देशों को आजाद होने में मदद दी है। यदि हम आजाद न होते तो विश्व के स्वतंत्र राष्ट्रों के सामने सिर ऊँचा करके खड़े होने की हिम्मत भी नहीं कर सकते थे।



तब हमारी वाणी को कोई महत्व नहीं देता और हमारे देश के किसानों बदधिजीवियों, मनीषियों को कही कद्र न होती। उनकी प्रतिभा कुंठित हो जाती और इसे विदेशी सत्ता के पालतू पशु की तरह जीवन जीना पड़ता।



यदि हम आजाद न होते, तो अपने त्योहारों और उत्सवों को अपनी इच्छानसार नमना पाते। अपनी भावनाओं, विचारों को खुलकर प्रकाशित न कर पाते। हमारे कवि, कलाकार, साहित्यकार, वैज्ञानिक सभी विदेशी शासकों के हाथ की कठपुतली बने रहते। तब वे देश के कल्याण की बात भूलकर विदेशी शासकों की कृपा प्राप्त करने की ही कोशिश किया करते।



हमारे विदेशी शासकों ने हमेशा ‘फूट डालो और शासन करो' की नीति अपनाई थी। उन्होंने हमें अनेक गुटों में बाँट रखा था और उनके बीच तीव्र घृणा तथा द्वेष पैदा कर दी थी। यदि हम आजाद न होते, तो विदेशी शासकों की नीति के अनुसार


 हमारे देश में चारों ओर घृणा और द्वेष का ही वातावरण बना रहता। तब हमारा देश शोषण का शिकार होता रहता और गरीबी के दलदल में फँसता चला जाता।


सारांश यह कि यदि हम आजाद न हुए होते, तो विदेशी शासकों के कुचक्रों का शिकार बनकर हमें नारकीय जीवन जीना पड़ता। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।