यदि समाचार पत्र न होते तो निबंध हिंदी | yadi samacharpatra na hote essay in hindi

 

यदि समाचार पत्र न होते तो निबंध हिंदी | yadi samacharpatra na hote essay in hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम यदि समाचार पत्र न होते तो निबंध हिंदी इस विषय पर निबंध जानेंगे। यह कल्पना ही बड़ी विचित्र है कि समाचारपत्र न होते, तो क्या होता? सबेरे की चाय मिलने में भले ही देर हो, लेकिन समाचारपत्र तो निश्चित समय पर मिल ही जाना चाहिए। यदि किसी दिन समाचारपत्र नहीं मिलता, तो उस दिन बहुत सूना-सूना-सा लगता है।


इतना ही नहीं, कुछ लोग तो कई समाचारपत्र खरीदते हैं और वह भी भिन्न-भिन्न भाषाओं के। इसीसे आप अनुमान लगा सकते हैं कि समाचारपत्रों का हमारे जीवन में कितना महत्त्वपूर्ण स्थान है। समाचारपत्रों से हमें संसार की हलचलों की विस्तृत जानकारी मिल जाती है।


 यदि समाचारपत्र न होते, तो हम यह न जान पाते कि किस देश में प्राकृतिक आपदा टूट पड़ी है या किन देशों के बीच संघर्ष की भूमिका तैयार हो रही है। विभिन्न प्रकार की वैज्ञानिक उपलब्धियों से भी हम अनजान रह जाते।


 हमें इसकी भी जानकारी न हो पाती कि किन देशों ने अंतरिक्ष में अपने उपग्रह भेजे हैं या आणविक परीक्षण किए हैं और उन देशों के मुकाबले हमारे देश की क्या स्थिति है?


हमारे देश में प्रजातंत्रात्मक शासन-व्यवस्था है। किसी देश में प्रजातंत्र की सफलता उस देश की जनता की जागरूकता पर निर्भर होती है। जनता को जागरूक बनाने में समाचारपत्रों का बहुत बड़ा योगदान होता है। 


यदि समाचारपत्र न होते तो जनता को सरकार की नीतियों और गतिविधियों के बारे में जानकारी न मिल पाती। समाचारपत्र शासन की नीतियों का विवेचन भी करते हैं। यदि वे न होते, तो लोगों को शासन की नीतियों की अच्छाइयों या त्रुटियों की जानकारी न हो पाती।


 समाचारपत्र ही जनता की प्रतिक्रिया प्रकाशित कर शासनाधिकारियों को सचेत करते रहते हैं। समाचारपत्रों के अभाव में शासन और जनता के बीच की महत्त्वपूर्ण कड़ी लुप्त हो जाती और शासनकर्ता मनमानी करने लगते।


हमारे देश की आजादी की लड़ाई में समाचारपत्रों ने बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यदि लोकमान्य तिलक ने 'मराठा' और 'केसरी' का प्रकाशन न किया होता, तो आजादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए भारतीय जनता कैसे संगठित हो पाती? यदि राष्ट्रपिता बापू ने 'हरिजन' न निकाला होता,


तो भारतीय समाज को उनके विचारों की जानकारी कैसे हो पाती? तब विदेशी सत्ता के विरुद्ध चल रही आजादी की लड़ाई की सफलता संदिग्ध हो जाती।


यदि समाचारपत्र न होते, तो व्यापारी और उद्योगपति अपने माल का व्यापक विज्ञापन न कर पाते। विज्ञापनों का प्रकाशन रुक जाने से उनके माल की बिक्री पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ता। अपना भविष्य जानने के लिए उत्सुक लोग अपना राशिफल न जान पाते। लोगों को सिनेमा जगत की हलचलों का पता न चलता।


नौकरियों से संबंधित विज्ञापनों का प्रकाशन रुक जाता और नौकरी प्राप्त करने के इच्छुक लोग हाथ पर हाथ रखकर बैठे ही रहते। समाचारपत्रों में ज्ञानवर्धक लेख, सरस कविताएँ, सुंदर कहानियाँ आदि साहित्य प्रकाशित होता रहता है। यदि समाचारपत्र न होते, तो इन सबका प्रकाशन भी न हो पाता और हमारा जीवन अत्यंत नीरस बन जाता।


समाचारपत्रों के कार्यालयों में हजारों लोग काम करते हैं। समाचारपत्रों में अपने लेख, कविताएँ, कहानियाँ आदि प्रकाशित कराकर अनेक लेखक तथा साहित्यकार अच्छी आमदनी कर लेते हैं। यदि समाचार पत्र न होते, तो इन लोगों को जीविका कमाने में कठिनाई उठानी पड़ती।


यदि समाचारपत्र न होते, तो समाजद्रोहियों का भंडाफोड़ न हो पाता। भ्रष्टाचारी नेताओं और अधिकारियों की पोल न खुल पाती। समाचारपत्र को 'प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ' माना जाता है। यदि वह स्तंभ न होता, तो प्रजातंत्र की इमारत ही धराशायी हो जाती।


किंतु यह कल्पना ही निरर्थक है कि समाचारपत्र न होते, तो क्या होता? समाचारपत्र हमेशा प्रकाशित होते रहेंगे और देश तथा समाज के सजग प्रहरियों की भूमिका निभाते रहेंगे। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।