यदि मेरे पंख होते हिंदी निबंध | yadi Mere Pankh Hote hindi nibandh

 

यदि मेरे पंख होते हिंदी निबंध | yadi Mere Pankh Hote hindi nibandh

 नमस्कार  दोस्तों आज हम यदि मेरे पंख होते  इस विषय पर निबंध जानेंगे। जब मैं अनंत आकाश में पक्षियों को मनचाही उड़ान भरते देखता हूँ, तो मेरा दिल भी गगन-विहार के लिए मचल पड़ता है। तब मैं सोचता हूँ – काश ! मेरे भी पंख होते।


सचमुच, यदि मुझे पंख मिले होते, तो मैं भी आकाश में ऊँची-ऊँची उड़ानें भरता। उड़ने में पक्षियों से होड़ लगाता। आकाश की नीलिमा को अपनी आँखों में भर लेता। ऊँची उड़ानें भरते समय बादल भी मुझे छूते हुए आगे बढ़ जाते।मैं चाँद-सितारों तक पहुँचने का प्रयत्न भी करता।


आज यात्रा-संबंधी कठिनाइयाँ बहुत बढ़ गई हैं। इसलिए दूर की यात्रा की इच्छा मन में ही रह जाती है। मेरे पंख होते, तो यात्रा करना मेरे बाएँ हाथ का खेल हो जाता। न टिकटऔर आरक्षण का झंझट होता और न कोई तकलीफ होती। 


रास्ते में नदी-पहाड़ कोई भी मुझे रोक नहीं पाते। उड़ते-उड़ते थक जाता तो किसी पेड़ पर बैठकर विश्राम कर लेता। पेड़ पर फल होते, तो उनसे भूख शांत कर लेता। समुद्र पर से उड़ते समय मैं किसी जहाज पर आराम कर लेता।


मुझे प्रकृति से बेहद लगाव है। यदि मेरे पंख होते, तो मैं धरती के स्वर्ग कश्मीर पहुँच जाता। वहाँ फूलों की घाटी में मनचाही सैर करता। मन करता तो गोवा के सुंदर बीचों में पहुँच जाता। कन्याकुमारी और आबू के सूर्यास्त के अनोखे दृश्य अपनी आँखों से देख आता।


मेरे कई मित्र दूर-दूर रहते हैं। वे मुझे अपने जन्मदिन की पार्टी में बुलाते हैं, पर दूर होने के कारण मेरे लिए जा पाना संभव नहीं होता। मेरे पंख होते, तो उड़कर झट से उनके यहाँ पहुँच जाता और उनके जन्मदिन की खुशी में शामिल हो जाता। 


बीमार मित्रों से मिलकर उनका हालचाल पूछ आता। श्रावणीपूर्णिमा के अवसर पर दूर शहर में रहनेवाली मेरी दीदी मुझे डाक द्वारा राखी भेजती है। मेरे पंख होते, तो मैं राखी के दिन उड़कर दीदी के पास पहुँच जाता और राखी बँधवा आता।


उड़ने की शक्ति होने पर मैं दुर्घटनाओं में फंसे लोगों की तत्काल सहायता करता। बाढ़, भूकंप आदि प्राकृतिक प्रकोपों के समय में शीघ्र पहुँचकर पीड़ित जनों की मदद करता। मैं दवाएँ तथा अन्य उपकरण जल्दी से पहुँचाकर पीड़ित लोगों के कष्ट दूर करने में कीमती योगदान देता।


इस प्रकार पंख होने पर आवागमन में मुझे बड़ी सुविधा रहती। कहीं आने-जाने में पैसों की जरूरत ही न पड़ती। मैं स्कूल भी उड़कर पहुँच जाता। माँ बाजार से सामान मँगाती, तो उड़कर फौरन ले आता। इसमें शक नहीं कि मेरे पंख कभी नहीं होंगे, परंतु पंख होने की कल्पना का भी एक अपना मजा है। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।