स्कूल असेंबली के लिए हिंदी में जन्माष्टमी पर भाषण | Speech On Janmashtami in Hindi For School Assembly

 स्कूल असेंबली के लिए हिंदी में जन्माष्टमी पर भाषण | Speech On Janmashtami in Hindi For School Assembly




प्रिय सभी, स्वागत करता हूँ आपका जन्माष्टमी के इस धार्मिक त्योहार के अवसर पर। आज हम इस खास अवसर पर जन्माष्टमी के महत्व को समझने और इसके पीछे छिपे धार्मिक, सामाजिक, और मानवता के सिद्धांतों को जानने का प्रयास करेंगे।


जन्माष्टमी का महत्व:

जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के अवसर को मनाने वाला महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की आषाढ़ नक्षत्र के दिन मनाया जाता है। श्रीकृष्ण का जन्म एक आध्यात्मिक घटना है जो हमें भगवान के मानव रूप में प्रकट होने की महत्वपूर्ण बात याद दिलाती है।


जन्माष्टमी का उद्देश्य है हमें श्रीकृष्ण के जीवन और संदेश से प्रेरित करना, उनके आदर्शों का पालन करना, और उनके प्रेम और भक्ति की भावना को अपने जीवन में अपनाने का प्रेरणा प्रदान करना है।


श्रीकृष्ण का जीवन:

श्रीकृष्ण का जीवन अत्यंत महत्वपूर्ण और गर्वशील था। उनका जन्म मथुरा में हुआ था, जहां उनके माता-पिता वसुदेव और देवकी जब उनके जन्म के समय गिरफ्तार हो गए थे। उन्होंने बचपन में वृंदावन में गोपियों के साथ खुशी-खुशी खेला और वाणी बजाते थे, जो उनके भक्तों के दिलों को छू लेती थी।


उनके बचपन के खेल, जिसे हम लीला कहते हैं, उनके प्रेम और मानवता की महत्वपूर्ण बातें हैं। उन्होंने गोपियों के साथ मिश्री खाने, माखन चुराने, और गोवर्धन पर्वत को उठाने के रूप में अनेक छवियाँ दिखाईं। इन लीलाओं के माध्यम से, वे हमें प्रेम का महत्व और खुशियों के मानवता में योगदान करने की महत्वपूर्ण शिक्षाएँ देते हैं।


श्रीकृष्ण का जीवन उनके युवावस्था में भी महत्वपूर्ण घटनाओं से भरपूर था। उन्होंने माता यशोदा के साथ वृंदावन में अपने बचपन के खेलों के बाद गोकुल में अपने बचपन के दोस्तों के साथ बिताया। उनके युवावस्था में, उन्होंने महाभारत युद्ध में अर्जुन के में अपने अद्वितीय उपदेश दिया और भगवद गीता के रूप में हमें आध्यात्मिक ज्ञान का उपहार दिया।


श्रीकृष्ण के जीवन का एक और महत्वपूर्ण पहलु उनके रास लीलाएँ थे, जो उनके गोपियों के साथ होते थे। इन लीलाओं में, वे अपने भक्तों के साथ गोपियों के साथ रास गाते और नृत्य करते थे। इसके माध्यम से, वे हमें आदर्श और भक्ति के माध्यम से भगवान के प्रति अपने प्रेम की महत्वपूर्णता को सिखाते हैं।


श्रीकृष्ण का जीवन उनके विवाह के बाद भी महत्वपूर्ण था। वे द्वारका गए और वहां राजा और रानियों के साथ खुशी-खुशी रहते थे। उनके द्वारका में कई प्रमुख काम किए गए थे, जैसे कि उन्होंने महाभारत युद्ध में पांडवों का सहायक बना और दुर्योधन के विरुद्ध खड़ा हो गया।


श्रीकृष्ण के जीवन से हमें यह सिखने को मिलता है कि कैसे हमें अपने जीवन को नीति, कर्म, और भक्ति के माध्यम से एक सफल और धार्मिक दिशा में दिलाने का प्रयास करना चाहिए।


जन्माष्टमी का महत्व सामाजिक और सांस्कृतिक:

जन्माष्टमी भारतीय समाज के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसे भगवान के जन्म के रूप में मनाने के रूप में देखा जाता है, और यह धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।


जन्माष्टमी के दिन, भगवान के मंदिर और धार्मिक स्थलों में भगवान की मूर्तियों की पूजा की जाती है। भक्तगण विशेष रूप से रात के समय पूजा और भजन करते हैं। महिलाएँ और बच्चे अपनी श्रद्धा और भक्ति का प्रदर्शन करते हैं और भगवान की मूर्तियों की देखभाल करते हैं।


जन्माष्टमी के दिन, भगवान की मूर्तियों को सजाने और सजाने का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मूर्तियों को नए कपड़ों और आभूषणों से ढंका जाता है और उन्हें खास आराधना के लिए सजाया जाता है। इसके बाद, मूर्तियों की आराधना की जाती है और भगवान के गुणों की स्तुति की जाती है।


जन्माष्टमी के दिन अनेक स्थानों पर रासलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान की रास की भव्य छवियों का प्रदर्शन किया जाता है। यह दिखाने का प्रयास होता है कि भगवान की लीलाएँ कैसे गोपियों के साथ रासरंग में नृत्य करते थे। इससे लोगों को भगवान के प्रति अपने प्रेम और भक्ति की भावना को समझने में मदद मिलती है।


जन्माष्टमी के दिन, खास रूप से बच्चों के बीच खेल कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि धारी की जुलूस और मुकुट सजाने की प्रतियोगिता। ये कार्यक्रम बच्चों को हिन्दू संस्कृति और जन्माष्टमी के महत्व के बारे में सिखाते हैं और उन्हें धार्मिक ज्ञान की ओर प्रवृत्त करते हैं।


जन्माष्टमी का महत्व मानवता के लिए:

जन्माष्टमी का महत्व केवल धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि मानवता के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस त्योहार के माध्यम से हमें कई महत्वपूर्ण सिख मिलती हैं जो हमें अपने जीवन में अपनानी चाहिए:


1. प्रेम का महत्व: जन्माष्टमी के दिन की अहम बात यह है कि हमें प्रेम का महत्व समझाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण की गोपियाँ उनके प्रेम में डूबी रहती थीं और उनका प्यार और भक्ति दिल में बसा रहता था। हमें भी अपने प्रेम को अपने प्रियजनों और भगवान के प्रति प्रकट करने का प्रयास करना चाहिए।


2. नीति और धर्म का पालन: श्रीकृष्ण के जीवन से हमें धर्म और नीति का महत्व समझाया जाता है। वे हमें सत्य और धर्म के प्रति सदैव प्रतिबद्ध रहने की महत्वपूर्ण बात सिखाते हैं।


3. कर्म का महत्व: श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में कर्म का महत्व सिखाया। उन्होंने अर्जुन को महाभारत युद्ध में युद्ध करने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्होंने यह बताया कि हमें अपने कर्मों को सच्चे दिल से करना चाहिए, बिना फल की चिंता किए।


4. भक्ति का महत्व: जन्माष्टमी के त्योहार में भक्ति की महत्वपूर्ण भावना है। भगवान के प्रति हमारी भक्ति हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह हमें आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्धि प्रदान करता है।


5. संयम और सहयोग: जन्माष्टमी के दिन, भगवान की मूर्तियों की देखभाल और पूजा कार्य में संयम और सहयोग की महत्वपूर्ण भावना होती है। लोग समूह में मिलकर काम करते हैं और इससे उनके बीच एक मेंढ़ब की भावना पैदा होती है।


6. समरसता और एकता: जन्माष्टमी के त्योहार का मनाने के दौरान, समाज के विभिन्न वर्गों और समुदायों के लोग एकत्र आकर भगवान की पूजा करते हैं। इससे समरसता और एकता की भावना को प्रोत्साहित किया जाता है और लोग एक साथ बढ़ चढ़कर त्योहार का आनंद लेते हैं।


जन्माष्टमी के त्योहार की तैयारी:


जन्माष्टमी के त्योहार की तैयारी बहुत ही महत्वपूर्ण होती है और लोग इसे बड़े उत्साह से करते हैं। यह तैयारी विभिन्न चरणों में होती है:


1. मंदिर और धार्मिक स्थलों की सजावट: जन्माष्टमी के दिन, मंदिर और धार्मिक स्थलों को सजाने के लिए खास तैयारी की जाती है। मूर्तियों को नए कपड़ों और आभूषणों से सजाया जाता है, और उन्हें विशेष प्रकार से पूजा के लिए सजाया जाता है।


2. रासलीला की तैयारी: जन्माष्टमी के दिन रासलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान की रास की भव्य छवियों का प्रदर्शन होता है। इसके लिए खास रूप से गोपियों की भूमिका के लिए लड़कियों की तैयारी की जाती है और वे खास रासलीला के कपड़े पहनती हैं।


3. प्रसाद और भोजन: जन्माष्टमी के दिन विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है, जैसे कि माखन, पेड़े, पुरी, और दही। इन प्रसादों को भगवान की पूजा के बाद बांटा जाता है और लोग इसे खाते हैं।


4. सांस्कृतिक कार्यक्रम: जन्माष्टमी के दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि भजन संध्या, कथा पाठ, और कला प्रस्तुतियां। इन कार्यक्रमों में लोग भगवान की कथाओं का सुनते हैं और उनके प्रति अपनी भक्ति और समर्पणा का प्रदर्शन करते हैं।



5. खेल कार्यक्रम: जन्माष्टमी के दिन बच्चों के लिए खेल कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि धारी की जुलूस, मुकुट सजाने की प्रतियोगिता, और बच्चों का परिदाहन कार्यक्रम। इससे बच्चों को जन्माष्टमी के महत्व के बारे में सिखने का मौका मिलता है और उन्हें धार्मिक ज्ञान की ओर प्रवृत्त किया जाता है।


6. सेवा और दान: जन्माष्टमी के दिन लोग भगवान के नाम पर सेवा और दान करते हैं। यह उनके आस-पास के गरीबों और बेहदगरीबों के लिए होता है, और इससे सामाजिक न्याय और सहयोग की भावना पैदा होती है।


जन्माष्टमी के त्योहार के साथ जुड़ी मिश्रित भव्यता:

जन्माष्टमी के त्योहार के साथ जुड़ी मिश्रित भव्यता होती है, जिसमें धार्मिक और सामाजिक आयाम होते हैं। यह एक महत्वपूर्ण संयोजन होता है जो लोगों को उनके आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन के साथ जोड़ता है।


जन्माष्टमी के त्योहार का आयोजन मंदिरों, मूर्तियों, और सामाजिक स्थलों पर होता है, जो लोगों को उनकी धार्मिक जिम्मेदारियों की ओर प्रवृत्त करता है। इसके साथ ही, यह भगवान के प्रति भक्ति और समर्पणा का भाव भी पैदा करता है।


जन्माष्टमी के दिन कई धार्मिक और सांस्कृतिक आयाम होते हैं, जिनमें पूजा, कीर्तन, और भजन शामिल होते हैं। इसके साथ ही, रासलीला का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें भगवान की रास की भव्य छवियों का प्रदर्शन होता है। यह लोगों को भगवान के प्रति अपने प्रेम और भक्ति की महत्वपूर्ण भावना को समझाता है।


इसके बाद, प्रसाद बांटने का कार्यक्रम होता है, जिसमें भक्तगण और समुदाय के लोग साथ में भगवान के प्रसाद का आनंद लेते हैं।


जन्माष्टमी के त्योहार के साथ सम्बंधित बच्चों के लिए खेल कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि धारी की जुलूस, मुकुट सजाने की प्रतियोगिता, और दही हांडी तोड़ने का क्रीड़ा। इससे बच्चों को खेलने और साथ में आनंद लेने का मौका मिलता है, जो उनके जीवन के बहुत महत्वपूर्ण हिस्से होते हैं।


2  भाषण


 स्कूल असेंबली के लिए हिंदी में जन्माष्टमी पर भाषण | Speech On Janmashtami in Hindi For School Assembly




प्रिय प्रिंसिपल, सम्मान्य शिक्षकों, प्यारे सहपाठियों और सभी मेरे साथी छात्रों को नमस्कार। आज हम यहां एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार के बारे में बात करने के लिए इकठ्ठे हुए हैं - जन्माष्टमी के अवसर पर। जन्माष्टमी, भारतीय हिन्दू समुदाय के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के रूप में मनाया जाता है।


जन्माष्टमी के त्योहार का मतलब होता है कृष्ण के जन्म का महोत्सव। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की आषाढ़ नक्षत्र के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के अवसर पर हम उनकी मूर्ति को अभिषेक करते हैं, उनकी कथाएँ सुनते हैं, और उनके भजन गाते हैं।


श्रीकृष्ण, हिन्दू धर्म के दोनों आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व के महान व्यक्तियों में से एक हैं। वे भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं, और उनके जीवन का कई महत्वपूर्ण संदेश हैं जो हमें अपने जीवन में अपनाने चाहिए।


जन्माष्टमी के पर्व के माध्यम से, हम उनके जीवन से कुछ महत्वपूर्ण सिख सकते हैं, जो हमारे जीवन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती हैं:


1. नीति का महत्व: श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में नीति का महत्व सिखाया। वे देखने को मिलते हैं कि कैसे वे धर्म और सत्य के प्रति सदैव सही दिशा में चलते रहते थे। हमें भी उनकी तरह नीति और ईमानदारी से अपने जीवन को चलाना चाहिए।


2. कर्म का महत्व: श्रीकृष्ण ने भगवान के लिए कर्म करने का महत्व सिखाया। उन्होंने अर्जुन को महाभारत युद्ध में युद्ध करने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्होंने यह बताया कि हमें अपने कर्मों को सच्चे दिल से करना चाहिए, बिना फल की चिंता किए।


3. भक्ति का महत्व: श्रीकृष्ण की भक्ति भी उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा थी। उनके गोपियाँ और भक्तों की प्रेम और भक्ति की भावना हमें भगवान के प्रति अधिक समर्पित होने का संदेश देती है।


इस अवसर पर, हमें यह याद दिलाना चाहिए कि हमें जन्माष्टमी को सिर्फ एक त्योहार मानने के बजाय उसके संदेश को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करना चाहिए। इसके अलावा, हमें श्रीकृष्ण की जीवन कथाओं से कुछ महत्वपूर्ण सिख सकते हैं, जो हमें अपने जीवन में साझा करने चाहिए:


1. बचपन की मिसाल: श्रीकृष्ण की बचपन की कथाएँ हमें बचपन के मासूमियत और मनोरंजन की महत्वपूर्ण भूमिका याद दिलाती हैं। हमें अपने जीवन में बचपन के सुख और मासूमियत को संजीवनी रूप में जीना चाहिए।


2. दोस्ती का महत्व: श्रीकृष्ण के दोस्तों के साथ की दोस्ती की कथाएँ हमें सच्ची और वफादार दोस्ती की महत्वपूर्ण भूमिका याद दिलाती हैं। हमें दोस्तों के साथ अच्छे संबंध बनाने का प्रयास करना चाहिए और उन्हें समर्थन और स्नेह प्रदान करना चाहिए।


3. आध्यात्मिकता का महत्व: श्रीकृष्ण की गीता के उपदेश ने हमें आध्यात्मिक ज्ञान की महत्वपूर्णता को समझाया है। हमें अपने आध्यात्मिक दृष्टिकोण को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए और अपने आंतरिक शांति की खोज में लगे रहना चाहिए।


जन्माष्टमी के त्योहार के इस मौके पर, हमें अपने जीवन में श्रीकृष्ण के संदेशों को अपनाने का प्रयास करना चाहिए। हमें उनके जीवन से सिखना चाहिए कि कैसे हम नीति, कर्म, और भक्ति के माध्यम से एक सफल और धार्मिक जीवन जी सकते हैं।


जन्माष्टमी के अवसर पर हमें श्रीकृष्ण की आराधना करने का मौका मिलता है। हम उनकी मूर्ति को अभिषेक करते हैं, उनकी कथाओं को सुनते हैं, और उनके भजन गाते हैं। यह एक आध्यात्मिक अनुभव होता है, जिससे हमारा मन शांति और सुख का अनुभव करता है।


जन्माष्टमी के त्योहार के दौरान, हमें श्रीकृष्ण के प्रति हमारी भक्ति को मजबूती से बढ़ाने का अवसर मिलता है। हम उनकी लीलाओं और महानतम कामों की कथाओं को याद करते हैं, जो हमें उनके प्रति अपने सर्वश्रेष्ठ भावनाओं को दिखाते हैं।


जन्माष्टमी के इस अवसर पर, हमें उनके जीवन और संदेश से निरंतर प्रेरित रहना चाहिए। हमें उनके दिखाए गए मार्ग पर चलना चाहिए, जो हमें अपने कर्मों को सच्चे और ईमानदारी से करने की महत्वपूर्णता सिखाता है।


आखिर में, मैं इस पर खत्म करना चाहता हूँ कि हमें जन्माष्टमी को सिर्फ एक त्योहार मानने के बजाय उसके संदेश को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करना चाहिए। हमें श्रीकृष्ण के संदेशों के साथ एक बेहतर और सफल जीवन की ओर बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए। जय श्रीकृष्णा! धन्यवाद।


आपको सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। धन्यवाद।


3  भाषण


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आदरणीय प्रिंसिपल, सम्मान्य शिक्षकगण, प्यारे साथीगण और मेरे प्यारे साथी छात्रों को नमस्कार। आज हम सभी यहां इकट्ठे हुए हैं जन्माष्टमी के इस पवित्र अवसर पर जो हमारे देश में हिन्दू समुदाय के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है।


जन्माष्टमी का मतलब होता है कृष्ण के जन्म का दिन, और इसे हम सभी ध्यान से मनाते हैं। यह त्योहार हर साल भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन पर मनाया जाता है, जो हिन्दू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं।


श्रीकृष्ण का जीवन एक अद्वितीय प्रेरणास्पद है, जिसमें हमें नीति, कर्म, और भक्ति की महत्वपूर्ण शिक्षाएं मिलती हैं। उन्होंने अर्जुन को गीता के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का उपदेश दिया, जिसमें कर्मयोग, भक्तियोग, और ज्ञानयोग की महत्वपूर्ण बातें हैं।


जन्माष्टमी के इस दिन, हम रात को भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को अभिषेक करते हैं, उनके लीलाओं की कथाएँ सुनते हैं, और उनके भजन गाते हैं। यह दिन भक्ति और आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें हम अपने मन, वचन, और क्रियाओं से भगवान की आराधना करते हैं।


इस त्योहार के अवसर पर हमें श्रीकृष्ण के जीवन और संदेश से अधिक सिखना चाहिए। उनका संदेश है कि हमें अपने कर्मों का पूरा समर्पण और ईमानदारी से करना चाहिए, और हमें भगवान के प्रति पूरी श्रद्धा और भक्ति रखनी चाहिए।


आखिर में, मैं चाहता हूँ कि हम सभी इस जन्माष्टमी को एक बड़े उत्सव के रूप में मनाएं और इसका महत्व समझें। हमें श्रीकृष्ण के संदेश को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करना चाहिए और अच्छे कर्मों के माध्यम से समाज की सेवा करना चाहिए।


इसी सोच के साथ, मैं जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। धन्यवाद।


4 भाषण


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प्रिय प्रिंसिपल, सम्मान्य शिक्षकों, प्यारे सहपाठियों और आदरणीय सभी उपस्थित व्यक्तियों को नमस्कार। आज हम सभी यहां इकठ्ठे हुए हैं, एक खास अवसर पर, जो हमारे लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार का हिस्सा है - जन्माष्टमी का त्योहार।


जन्माष्टमी का मतलब होता है 'भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का महोत्सव'। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की आषाढ़ नक्षत्र के दिन मनाया जाता है। श्रीकृष्ण, हिन्दू धर्म के एक प्रमुख अवतार हैं, जो हमारे लिए आदर्श, उपदेश, और प्रेरणा का प्रतीक हैं।


जन्माष्टमी के इस महत्वपूर्ण दिन पर, हम भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को सजाकर, उनकी कथाओं को सुनकर, और उनके भजन गाकर उनकी आराधना करते हैं। इसके साथ ही हम अपने दिलों में भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति की भावना को भी मजबूती से बढ़ाते हैं।


श्रीकृष्ण के जीवन से हमें कई महत्वपूर्ण सिख मिलती हैं, जैसे कि नीति, कर्म, और भक्ति का महत्व। उन्होंने गीता के माध्यम से हमें जीवन के तात्त्विक मार्ग की महत्वपूर्ण बातें सिखाई हैं, जिनमें समय पर कर्म करने की महत्वपूर्णता और भगवान के प्रति निष्ठा की महत्वपूर्ण भूमिका है।


आज, हमें यह याद दिलाना चाहिए कि हमें जन्माष्टमी को सिर्फ एक त्योहार मानने के बजाय इसके संदेश को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करना चाहिए। हमें नीति, कर्म, और भक्ति के माध्यम से एक सफल और धार्मिक जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए।


आखिर में, मैं चाहता हूँ कि हम सभी इस जन्माष्टमी को खुशी और आनंद के साथ मनाएं, और हमारे जीवन में श्रीकृष्ण के संदेश को अपनाकर उनकी प्रेम और दया के साथ अपने दिलों में बसाएं। जय श्रीकृष्णा! धन्यवाद।


5  भाषण


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नमस्कार!

मैं आज आपके सामने जन्माष्टमी के अवसर पर एक भाषण दे रहा हूँ। जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है। वे हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। उनका जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था।


भगवान कृष्ण को वासुदेव और देवकी के आठवें पुत्र के रूप में जन्म हुआ था। उनके जन्म से पहले, एक आकाशवाणी ने कंस को बताया था कि उनकी बहन देवकी की आठवीं संतान ही उनकी मृत्यु का कारण बनेगी। कंस एक अत्याचारी राजा था और वह अपनी मृत्यु से बहुत डरता था। इसलिए, उसने देवकी और वासुदेव को जेल में डाल दिया और उनके पहले सात बच्चों को मार डाला।


लेकिन जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, तो वासुदेव उन्हें सुरक्षित रूप से गोकुल ले गए, जहां उन्होंने यशोदा और नंद बाबा के साथ अपने बचपन का आनंद लिया। भगवान कृष्ण एक अद्भुत बालक थे। वे बहुत ही प्यारे, मिलनसार और बुद्धिमान थे। उन्होंने अपनी माखन चोर और बांसुरी वादक के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की।


भगवान कृष्ण ने अपने जीवन में कई महान कार्य किए। उन्होंने मथुरा के अत्याचारी राजा कंस का वध किया और यादवों को उनके अत्याचार से मुक्त कराया। उन्होंने अर्जुन को महाभारत के युद्ध में जीत दिलाई। उन्होंने अपने भक्तों को हमेशा प्रेम और करुणा से बर्ताव करने का उपदेश दिया।


जन्माष्टमी का त्योहार पूरे भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। लोग इस दिन व्रत रखते हैं, मंदिरों में पूजा करते हैं और भगवान कृष्ण की कथाएँ सुनते हैं। इस दिन, लोग भगवान कृष्ण के प्रिय भोग, जैसे माखन, मिश्री और गुजिया का भी भोग लगाते हैं।


जन्माष्टमी का त्योहार हमें भगवान कृष्ण के जीवन और उपदेशों से सीख लेने का अवसर देता है। हमें उनके जैसा प्रेम, करुणा और दयालु होना चाहिए। हमें हमेशा सत्य और न्याय के लिए लड़ना चाहिए।


धन्यवाद।