डॉक्टर जगदीशचन्द्र बोस हिंदी निबंध | Hindi Essay on Dr. Jagdish Chandra Bose
नमस्कार दोस्तों आज हम डॉक्टर जगदीशचन्द्र बोस हिंदी निबंध इस विषय पर निबंध जानेंगे। डॉक्टर (सर) जगदीशचन्द्र बोस एक महान भारतीय वैज्ञानिक थे। उन्होंने अपने आविष्कारों और मौलिक अनुसंधानों से सारे संसार को चमत्कृत कर दिया था। वे पहले ऐसे वैज्ञानिक थे जिन्होंने सिद्ध कर दिखाया कि पेड़-पौधे भी हमारे ही तरह संवेदनशील होते हैं। वे भी सुख-दुख, सर्दी-गरमी, प्रकाश, भोजन आदि का अन्य प्राणियों की तरह अनुभव करते हैं। उन्होंने कई अद्भुत वैज्ञानिक यंत्रों का आविष्कार किया।
क्रेस्टोग्राफ नामक यंत्र इन में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। पेड़-पौधों की संवदेनशीलता का मापने में यह अत्यन्त प्रभावशाली सिद्ध हुआ क्योंकि वह उनकी सूक्ष्य क्रियाओं को दस हजार गुना बढ़ाकर दिखा सकता है। इस की सहायता से डॉ. बोस ने पेड़-पौधों और दूसरे प्राणियों में पाई जाने वाली अनेक समानताओं को सिद्ध कर दिया। परन्तु उन्होंने इससे संतुष्ट न होकर चुम्बकीय क्रेस्टोग्राफ बनाया जो पेड़-पौधों की सूक्ष्म गति की 10 लाख गुना बढ़ा कर प्रदर्शित करता ।
रॉयल सोसायटी, लंदन में इस यंत्र की पूरी जांच की गई और इसे सचमुच आश्चर्यजनक पाया। इन यंत्रों की सहायता से निर्विवादरूप से यह सिद्ध हो गया कि जैसे सभी जीवों में संचलन, संकुचन, प्रसरण, स्पन्दन और रक्त संचार होता है, वैसे ही पेड़-पौधों और वनस्पतियों में भी ये सब क्रियाएँ होती हैं। वनस्पति में चेतना के साथ-साथ डॉ. बोस ने यह भी सिद्ध कर दिखाया कि जड़ पदार्थों में भी बाह्य उत्तेजना का प्रभाव होता है और वे प्रतिक्रिया करते हैं।
अधिक उत्तेजक द्रव्यों से उनकी शक्ति बढ़ती है और अधिक उत्तेजना से वे थक जाते हैं। उन्होंने यह भी दर्शाया कि जड़ पदार्थ, विश्राम के पश्चात् अपनी पुरानी स्थिति में आ जाते हैं और जहरीले पदार्थों से उनकी शक्ति समाप्त हो जाती हैं। _जड़ और चेतन तथा जीव व वनस्पति के इन सूक्ष्म रहस्यों का उद्घाटन करने वाले वे पहले वैज्ञानिक थे। वे एक प्रसिद्ध वनस्पति और भौतिक शास्त्री थे। उनके महान कार्यों, लेखों, पुस्तकों और अनुसंधानों ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया। उन्होंने वायरलैस टेलीग्राफी का भी आविष्कार किया था परन्तु इसका श्रेय उन्हें नहीं मिल पाया क्योंकि मारकोनी ने पहले ही इसका पेटेंट ले लिया।
डॉ. बोस ने लंदन, पेरिस, यूरोप आदि स्थानों का भ्रमण किया, विभिन्न विश्वविद्यालयों में भाषण दिये, अपने अनुसंधान प्रस्तुत किये और बहुत ख्याति अर्जित की। उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज कलकत्ता में अध्यापनकार्य भी किया। सन् 1915 में उन्होंने “बोस विज्ञान मंदिर" की स्थापना की और अपना कार्य जारी रखा। सन् 1937 में, जब वे उन्नासी वर्ष के थे, उनका देहावसान हो गया।
वे सच्चे अर्थों में एक महान वैज्ञानिक और मानव थे। निर्जीव पदार्थों, वनस्पतियों और प्राणियों में सादृश्य दर्शाकर जो महान् कार्य उन्होंने किया वह चिरस्मरणीय रहेगा। इससे हमें जीवन की एकरूपता के नये दर्शन और सत्य का साक्षात्कार हुआ जो अपने आप में अद्भुत है।
डॉ. बोस का जन्म सन् 1858 में ढाका (बंग्लादेश) के राढ़खाल गांव में हुआ था। सेंट जेवियर कॉलेज कलकत्ता से उन्होंने बी.ए. पास किया और फिर उच्च शिक्षा के लिए वे इंग्लैंड चले गये। वहां उन्होंने केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। सन् 1885 में वे भारत लौट आये और फिर प्रेसीडेन्सी कॉलेज, कलकत्ता में भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर नियुक्त हो गये।
वे अत्यन्त विनम्र किन्तु स्वाभिमानी व्यक्ति थे। ऐसे महान भारतीय वैज्ञानिक पर हम सब को गर्व है। उन्होंने न केवल यह स्थापित किया कि वनस्पति में जीवन है, बल्कि यह भी सिद्ध कर दिखाया कि मानवों और अन्य प्राणियों में जीवन-व्यापार की जो प्रणाली है, बिल्कुल वैसी ही प्रणाली पेड़-पौधों में भी है। यह वह दर्शन और सत्य है जो हमारे दृष्टिकोण को विशाल बनाता है, जीवन की एक रूपता के रहस्य को समझाता है और हमें और अधिक संवेदनशीलता तथा करूणामय बनाता है। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।