परमाणु शक्ति पर हिंदी निबंध | Nuclear Energy Essay In Hindi

 

परमाणु शक्ति पर हिंदी निबंध | Nuclear Energy Essay In Hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम परमाणु शक्ति पर हिंदी निबंध इस विषय पर निबंध जानेंगे। जिस प्रकार अत्यंत प्राचीन काल में मनुष्य ने पत्थर के औजारों का और फिर लोहे का आविष्कार किया था और उनके कारण उन कालों को 'पाषाण युग' और 'लोह-युग' का नाम दिया गया, उसी प्रकार नवीनतम आविष्कारों के कारण आज के युग को ‘परमाणु-युग' का नाम दिया जा सकता है। 


पिछली कई शताब्दियों से मानव-जाति के सम्मुख ऊर्जा प्राप्त करने की समस्या थी। अब तक ऊर्जा मुख्य रूप से पत्थर के कोयले से, लकड़ी के ईंधन से, मिट्टी के तेल से और जलप्रपातों से बिजली उत्पन्न करके प्राप्त की जा रही थी; किंतु विज्ञानवेत्ताओं के सम्मुख यह समस्या मुँह-बाए खड़ी थी कि एक न एक दिन ऊर्जा के ये स्रोत समाप्त हो जाएँगे, उस समय मनुष्य को अपने कल-कारखानों के लिए ऊर्जा कहाँ से मिलेगी? किंतु परमाणु ऊर्जा ने इस समस्या को हल कर दिया है।


ऊर्जा के स्रोतों की खोज-अब से लगभग सत्तर वर्ष पूर्व महान् विज्ञानवेत्ता आइन्स्टीन ने यह बात लोगों के सामने रखी थी कि पदार्थ को ऊर्जा में और ऊर्जा को पदार्थ में बदला जा सकता है। उसने यह भी बतला दिया था कि यदि हम किसी प्रकार पदार्थ की बहुत थोड़ी-सी मात्रा को भी ऊर्जा के रूप में बदल सकें, तो उससे ऊर्जा की बहुत बड़ी मात्रा उत्पन्न हो जाएगी।


वैसे तो जब हम लकड़ी को जलाकर गर्मी उत्पन्न करते हैं, तब भी पदार्थ का कुछ अंश ऊर्जा के रूप में बदलता है। परंतु आइन्स्टीन ने बताया कि इसमें पदार्थ के परमाणु ज्यों के त्यों रहते हैं; उनकी रचना में कोई अंतर नहीं पड़ता, किंतु यदि किसी प्रकार इन परमाणुओं को भी तोड़-फोड़कर ऊर्जा के रूप में बदला जा सके तो उससे इतनी अधिक ऊर्जा उत्पन्न होगी कि उसकी कल्पना कर पाना भी सरल नहीं है।


परीक्षणों की श्रृंखला-वर्षों तक इस संबंध में परीक्षण होते रहे। दूसरे विश्वयुद्ध के समय जर्मन विज्ञानवेत्ता परमाणु बम बनाने में जुटे हुए थे, किंतु उन्हें सफलता नहीं मिली। जर्मनी पहले ही हार गया और उन्हीं जर्मन विज्ञान-वेत्ताओं की सहायता से अमरीका ने परमाणु बम का निर्माण किया।


1945 के अगस्त मास में 6 तारीख को जापान के हिरोशिमा नगर पर पहला परमाणु बम गिराया गया। इस एक ही बम से तीन लाख की आबादी का यह विशाल नगर पूरी तरह नष्ट-भ्रष्ट हो गया। तीन दिन बाद एक और परमाणु बम नागासाकी पर गिराया गया और इससे भी हिरोशिमा वाला ही हाल हुआ।

परमाणु बम की शक्ति-परमाणु बम का विस्फोट उससे पहले के अन्य विस्फोटों की तुलना में कई हजार गुना अधिक है। पहले टी.एन.टी. को सबसे बड़ा विस्फोट समझा जाता था और भयानक बमों में इसी का प्रयोग किया जाता था। एक ओस यूरेनियम वाले परमाणु बम से जितना भयानक विस्फोट होता है, उतना विस्फोट करने के लिए अट्ठाइस हजार टी.एन.टी. की आवश्यकता होगी। 


जब पहले-पहल परमाणु बम का परीक्षण किया गया था तब उसका धमाका सैकड़ों मील दूर तक सुनाई दिया था और उसकी चमक इतनी तेज थी कि देखने वाले कुछ लोग अंधे हो गए थे। विस्फोट से इतनी अधिक गर्मी उत्पन्न हुई थी कि मीलों दूर तक मिट्टी ऐसी लाल हो उठी, मानो लुहार की भट्टी में तपाई गई हो।


परमाणु बम का रहस्य- परमाणु बम का रहस्य यह है कि इसमें भारी तत्त्वों के परमाणुओं को इस प्रकार तोड़ा जाता है कि वे ऊर्जा के रूप में बदल जाएँ। परमाणु के तीन अंग होते हैं : एक तो केंद्र का भाग, जिसमें कुछ प्रोटोन होते हैं; दूसरा बाहरी खोल, जिसमें इलेक्ट्रान प्रोटोनों के चारों ओर तेजी से चक्कर लगाते रहते हैं। किसी भी परमाणु में बाहर चक्कर लगाने वाले इलेक्ट्रानों की संख्या ठीक उतनी होती है, जितनी केंद्र में अर्थात् नाभिक में प्रोटोनों की होती है। 


प्रोटोनों में धन-विद्युत् होती है और इलेक्ट्रानों में ऋण-विद्युत् होती है, जिसके कारण वे एक-दूसरे को अपनी ओर खींचे रहते हैं। एक तीसरे प्रकार के कण न्यूट्रॉन कहलाते हैं। ये प्रोटोनों के साथ परमाणु के नाभिक में विद्यमान रहते हैं। इनमें धन या ऋण-विद्युत् नहीं होती, इस दृष्टि से ये उदासीन होते हैं। जब परमाणु के नाभिक पर न्यूट्रॉन से चोट की जाती है, तो उससे यूरेनियम का परमाणु फट जाता है। फटने पर नए न्यूट्रॉन बाहर छिटक आते हैं। ये यूरेनियम के अन्य परमाणुओं से टकराते हैं। इस प्रकार क्रम चलता रहता है। परमाणुओं के टूटने से आश्चर्यजनक ऊर्जा उत्पन्न होती है।


परमाणु अस्त्र अमानुषिक शक्ति- बमों के रूप में परमाणु अस्त्रों का प्रयोग बहुत भयंकर और अमानुषिक है। न केवल बम के विस्फोट से हजारों लाखों निरीह और निरपराध लोग मारे जाते हैं या घायल हो जाते हैं, अपितु पश-पक्षी तक भी अकारण ही काल के ग्रास बन जाते हैं। फिर भी, परमाणु बम के शिकार होकर जो व्यक्ति तुरंत मर जाते हैं, वे सस्ते छूट जाते हैं, क्योंकि जो लोग केवल घायल होकर जीवित बच जाते हैं, उनका जीवन बड़ा कष्टमय होता है। 


जिन लोगों पर प्रत्यक्ष रूप से कोई प्रभाव नहीं भी हुआ होता, वे भी रेडियमधर्मी कणों के स्पर्श के कारण भयानक रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं। किसी भी परमाणु बम के विस्फोट के बाद उसकी रेडियमधर्मी धूल सारे संसार में फैल जाती है और इस विषय में सभी विज्ञानवेत्ता एकमत हैं कि रेडियमधर्मिता प्राणि-मात्र के लिए अत्यधिक हानिकारक वस्तु है। इसीलिए संसार के प्रायः सभी विचारकों और विज्ञानवेत्ताओं ने यह माँग की है कि परमाणु अस्त्रों के परीक्षणों पर रोक लगाई जाए। कहीं ऐसा न हो कि इन परीक्षणों से पृथ्वी पर इतनी रेडियमधर्मिता बढ़ जाए कि मनुष्य-जाति का मूलोच्छेद ही हो जाए।


परमाणु शक्ति का संचय-इस समय संसार में परमाणु बम पाँच देशों के पास हैं- रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन। सन् 1974 ई. में भारत ने भी भूमि के अंदर एक विस्फोट किया, जिससे यह प्रकट हो गया कि वह भी परमाणु बम बना सकता है। परमाणु अस्त्र जितने अधिक राष्ट्रों के पास होते जाएँगे, उतना ही यह खतरा बढ़ जाएगा कि कोई अविवेकी राष्ट्र ऐसा युद्ध प्रारंभ कर दे, जिसमें परमाणु अस्त्रों का प्रयोग किया जाए। इस विषय में लगभग सभी एकमत हैं कि यदि परमाणु अस्त्रों द्वारा कोई युद्ध लड़ा गया, तो उसमें जीतने वाले और हारने वाले दोनों ही समान रूप से नष्ट हो जाएँगे और अधिक संभावना यही है कि न केवल मानव-सभ्यता, अपितु मानव-जाति ही नष्ट हो जाएगी।


इसीलिए पूँजीवादी और साम्यवादी गुटों में आपस में ऐसा कोई समझौता कर लेने का प्रयास बहुत दिनों से चल रहा है, जिससे इस प्रकार के आत्मविनाशकारी युद्ध का खतरा स्थाई रूप से टल जाए। सन् 1973 ई. में अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन और रूस के नेता ब्रेझनेव ने आपस में यह समझौता किया कि वे उन परिस्थितियों को उत्पन्न होने से रोकेंगे, जिनमें परमाणु अस्त्रों के प्रयोग की आशंका हो।


विकास-कार्यों में परमाणु शक्ति का उपयोग-यह ठीक है कि परमाणु शक्ति का उपयोग विनाशकारी कार्यों के लिए किया गया है, किंतु अपने आपमें यह शक्ति विनाशकारी ही हो, ऐसी कोई बात नहीं है। इसके ठीक विपरीत, यदि इस शक्ति का उपयोग रचनात्मक कार्यों के लिए किया जा सके, तो यह मनुष्य के लिए सबसे बड़ा वरदान सिद्ध हो सकती है। परमाणु शक्ति द्वारा बहुत कम व्यय से पानी के जहाज और पनडुब्बियाँ चलाई जा सकती हैं। ऐसे बिजली के कारखाने तैयार किए गए हैं, जिसमें परमाणु के विस्फोट से बहुत बड़ी मात्रा में सस्ती बिजली उत्पन्न की जा रही है। 


इसके अतिरिक्त परमाणु के विस्फोट से नए-नए आइसोटोप तैयार किए गए हैं, जिनका उपयोग रोगों की चिकित्सा के लिए, खेती के उत्पादन को बढ़ाने के लिए, उद्योगों और व्यवसायों की पुरानी प्रणालियों में सुधार करने के लिए किया जा रहा है। अभी तक हाइड्रोजन बम को पूरी तरह वश में करके उसे रचनात्मक कार्यों के लिए उपयोगी नहीं बनाया जा सका। किंतु जल्दी ही या देर से, जब भी ऐसा किया जा सकेगा, तब मनुष्य-जाति की ईंधन की समस्या सदा के लिए हल हो जाएगी, क्योंकि परमाणु बम में काम आनेवाली यूरेनियम धातु का भंडार यद्यपि बहुत कुछ सीमित है; किंतु हाइड्रोजन का भंडार तो मोटे तौर पर असीम ही कहा जा सकता है।


इस प्रकार परमाणु के रूप में एक महान् शक्तिशाली दैत्य हमारे सामने है। यदि हम इसे किसी प्रकार अपने वश में करके मानव-जाति की सेवा में लगा सके, तो वह हमारे लिए सुख के सारे साज सजाने को तैयार है, किंतु यदि कहीं गलती करके आपसी अविश्वास और संदेह के कारण हम इसे विनाश के लिए प्रोत्साहित कर दें, तो सारी मनुष्य-सभ्यता का विनाश करने में उसे शायद एक महीना भी न लगेगा। अब यह संसार के प्रमुख राष्ट्रों के विवेक पर निर्भर है कि वे निर्माण और विनाश में से कौन-से मार्ग को चुनते हैं। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।