गणतंत्र दिवस पर निबंध हिंदी | republic day 2022 essay in hindi

 

गणतंत्र दिवस पर निबंध हिंदी | republic day 2022 essay in hindi


नमस्कार  दोस्तों आज हम गणतंत्र दिवस पर निबंध हिंदी  इस विषय पर निबंध जानेंगे। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस हमारे दो बड़े राष्ट्रीय पर्व हैं। स्वतंत्रता दिवस हर वर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है और गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को। इन दोनों पर्यों में सारा राष्ट्र बड़े उमंग, उत्साह से भाग लेता है, और अपने इतिहास पर दृष्टि डालता हुआ एक ओर उन वीरों का स्मरण करता है जिन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति में अपने प्राणों की बलि दी, तो दूसरी ओर उज्ज्वल भविष्य के लिए पुनः कृत संकल्प होता है।


26 जनवरी 1950 को भारत एक गणतंत्र देश बना और इसका अपना संविधान लागू हुआ। लेकिन गणतंत्र दिवस की एक लम्बी और पूरी कहानी है। इसका इतिहास सन् 1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन से प्रारंभ होता है। इस अधिवेशन में नेहरूजी को अध्यक्ष चुना गया। युवा नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस ने पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्ति का प्रस्ताव पारित किया। इसी दिन रात के बारह बजे रावी नदी के तट पर नेहरूजी ने स्वतंत्रता का झंडा फहराया और देश को संबोधित करते हुए पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करने की घोषणा की। 



यह दिन था 26 जनवरी का। इस दिन सभी प्रतिनिधियों ने एक स्वर में भारत माता को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करने की प्रतिज्ञा की। और इस प्रकार यह दिन हमारे लिए अविस्मरणीय बन गया। इसके पश्चात् प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को भारत के लोग अपनी प्रतिज्ञा दोहराते रहे जिससे स्वतंत्रता आन्दोलन को बड़ा बल और गति मिली। देशप्रेम और देशभक्ति की जो लहर थी वह इसके परिणाम स्वरूप एक झंझावात में बदल गई। सन् 1942 में कांग्रेस और देश ने 'भारत छोड़ो' आन्दोलन का श्री गणेश किया। अंततः अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा और देश स्वतंत्र हो गया।



भारत स्वतंत्र तो हो गया परन्तु अभी इसे गणतंत्र बनना बाकी था। अत: देश के संविधान निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई जो 26 जनवरी 1950 को पूरी हुई। इसी दिन भारत एक सर्वप्रभुसत्ता सम्पन्न लोकतंत्रीय गणराज्य बनाया गया। इससे सारे भारत में प्रसन्नता और पूर्ण स्वतंत्रता की अभूतपूर्व लहर दौड़ गई। लोगों ने इस की अभिव्यक्ति एक समारोह के रूप में की।



26 जनवरी के राष्ट्रीय दिवस पर सार्वजनिक अवकाश होता है। सभी प्रतिष्ठान, दफ्तर, स्कूल, कॉलेज, बाजार, आदि बंद होते हैं। 25 जनवरी की संध्या को राष्ट्रपति रेडियों और दूरदर्शन पर राष्ट्र के नाम संदेश देते हैं। यह हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में होता है। इस अवसर पर समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के विशेष संस्करण निकाले जाते हैं।



स्थान-स्थान पर विशेष कार्यक्रम और ध्वजारोहण होते हैं। समूचे राष्ट्र में एक नये उत्साह और उमंग का वातावरण होता है। 26 जनवरी को प्रातः सर्वप्रथम प्रधानमंत्री इंडिया गेट जाकर अनाम शहीदों का स्मरणकर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं और फिर राजपथ पर प्रमुख रंगारंग और भव्य समारोह प्रारंभ होता है।



राष्ट्रपति की सवारी वहां आती है और तब उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सेना के तीनों अंगों के प्रमुख राष्ट्रपति का स्वागत करते हैं, तिरंगा फहराया जाता है और फिर तीनों सेनाओं की टुकड़ियों की परेड होती है। राष्ट्रपति इनकी सलामी लेते हैं। बैंड पर राष्ट्रीय धुनें बजायी जाती हैं। इसके पश्चात् भारत में निर्मित मिसाइलें, तोपें, टैंक, बख्तरबन्द गाड़ियों आदि सैनिक साज-समान का प्रदर्शन होता है जो हमारी सामरिक तैयारी और सुरक्षा व्यवस्था की एक झलक प्रस्तुत करता है। 



स्कूलों के छात्र-छात्राएं रंग-बिरंगे आकर्षक वस्त्रों में सजेधजे नृत्य, व्यायाम आदि प्रस्तुत करते हैं। फिर राज्यों की मनमोहक झांकियां निकलती हैं जिन में राष्ट्रीय एकता, संस्कृति, इतिहास और समृद्धि की झलक होती है। अलग-अलग राज्यों से आई हुई नृत्यमंडलियाँ अपने-अपने लोकनृत्य प्रस्तुत करती हैं। यह सब कार्यक्रम सबको मंत्रमुग्ध कर देता है। लोग हजारों की संख्या में यह सब देखने के लिए उमड़ पड़ते हैं। आकाशवाणी और दूरदर्शन पर आंखों देखा हाल प्रसारित किया जाता है। रात को सरकारी भवनों पर भव्य रोशनी की जाती है और दीपावली की अद्भुत छटा सब तरफ बिखर जाती है।



राजधानी दिल्ली के अतिरिक्त राज्यों की राजधानियों और दूसरे नगरों, गांवों में भी गणतंत्र दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। प्रांतों की राजधानियों में राज्यपाल परेड की सलामी लेते हैं। कॉलेजों, विद्यालयों और दूसरे संस्थानों में भी अनेक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। सभी सरकारी भवनों पर तिरंगा लहराया जाता है। । उमंग, उत्साह और उत्सव के साथ-साथ यह हमारे चिंतन का भी पर्व है। यह हमें प्रेरणा देता है कि हम अपने भारत को और अधिक सुदृढ़, सुखी, समृद्ध और उन्नत बनायें। यह हमें प्रेरित करता है कि इसकी आजादी पर किसी तरह की आंच न आने दें और त्याग तथा बलिदान की परम्परा को कभी नहीं भूलें। 



सचमुच यह एक अविस्मरणीय दिन है, राष्ट्रीय उत्सव, और मेला है जिस में सभी वर्गों, जातियों संप्रदायों के बड़े-बूढ़े, युवा, बालक बड़े उत्साह से भाग लेते हैं। इससे हमारी राष्ट्रीय एकता, भावनात्मक समग्रता और अखंडता की भावना को बड़ा बल मिलता है। भारत में अनेक उत्सव, त्यौहार, मेले, समागम, सम्मेलन आदि होते रहते हैं परन्तु 26 जनवरी का यह उत्सव अनूठा है। विदेशों में भारतीयों के अतिरिक्त अन्य विदेशी लोग और राजनेता भी इसे बड़े चाव और आदरभाव से देखते हैं। इस अवसर पर प्रायः कोई विशिष्ट अतिथि, राष्ट्रनेता भी उपस्थिति रहता है। वह इस अवसर की अविस्मरणीय यादें अपने साथ लेकर लौटता है। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।