मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध | Essay on Modern Means of Entertainment in Hindi

 

मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध | Essay on Modern Means of Entertainment in Hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम  मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध इस विषय पर निबंध जानेंगे। इस लेख मे कुल २ निबंध दिये गये हे जिन्‍हे आप एक -एक करके पढ सकते हे ।  मनुष्य के जीवन में मनोरंजन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। सुबह से शाम तक काम में लगे रहने के कारण मनुष्य के जीवन में नीरसता और थकान आ जाती है। 


शरीर और मन को फिर से तरो-ताजा बनाने के लिए उसे मनोरंजन की आवश्यकता होती है। मनोरंजन से मनुष्य के मन में फिर से नई शक्ति और स्फूर्ति का संचार होता है। स्वस्थ मनोरंजन से उसके जीवन का संतुलन बना रहता है और वह अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने में सफल हो सकता है।


वर्तमान युग में विज्ञान ने मनोरंजन के क्षेत्र पर आधिपत्य जमा लिया है। पुराने जमान से चले आ रहे मनोरंजन के साधनों का अस्तित्व आज भी बना हआ है। लेकिन मनोरजन क वैज्ञानिक साधनों के आगे उनकी लोकप्रियता तेजी से घटती जा रही है। आज भी लोग ताश, शतरंज, कैरम, कुश्ती आदि से मनोरंजन करते हैं, किंतु दिनोंदिन इन साधनों का महत्त्व कम होता जा रहा है।


 जीवन की व्यस्तता बढ़ रही है और मनुष्य अपने चारों ओर की भीड़ में अकेला पड़ता जा रहा है। इससे मनोरंजन के वैज्ञानिक साधनों की ओर उसका अधिकाधिक झुकाव हो रहा है। मनोरंजन के वैज्ञानिक साधनों में टिव्‍ही , इंटरनेट ,युटयुब   का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसके माध्यम से हम देश-विदेश के संगीत, साहित्य, कला आदि पर आधारित कार्यक्रम सन सकते हैं।


इंटरनेट  से हमें देश-विदेश के समाचार मिलते हैं। इसके द्वारा विभिन्न खेल-कूद प्रतियोगिताओं का आँखों देखा हाल भी प्रसारित किया जाता है, जिससे हमारा पर्याप्त मनोरंजन होता है।इंटरनेट नाटकों द्वारा प्राचीन ऐतिहासिक घटनाएँ प्रस्तुत की जाती हैं, 


जिनसे हमें अपनी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति की झलक मिलती है।इंटरनेट  को हम शहरी अथवा ग्रामीण क्षेत्रों में, कहीं भी आसानी से ले जा सकते हैं। यदि बिजली उपलब्ध न हो, तो उसे बैटरी से भी चलाया जा सकता है। इन सुविधाओं के कारण आज इंटरनेट  देश के कोने-कोने में पहुँच गया है। 


चलचित्र अथवा सिनेमा भी मनोरंजन का महत्त्वपूर्ण साधन है। यह दृश्य और श्रव्य, दोनों ही है। फिल्मों की सहायता से दर्शकों के सामने, अनेक प्रकार की कहानियाँ प्रस्तुत की जाती हैं। इनकी प्रस्तुति में संगीत, नृत्य, वाद्ययंत्रों, प्रकाश आदि कई साधनों का उपयोग किया जाता है। 


देश के छोटे-बड़े सभी शहरों और कस्बों में स्थान-स्थान पर सिनेमागृह बने हुए हैं। लेकिन अब वी. सी. आर., केबल टी. वी. आदि के प्रसार के फलस्वरूप सिनेमाघरों का महत्त्व कम होता जा रहा है।


मनोरंजन के वैज्ञानिक साधनों में टेलीविज़न सबसे आगे है। देश के शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में दूरदर्शन अपनी धाक जमाए हुए है। सिनेमा की तरह यह साधन भी श्रव्य और दृश्य, दोनों ही है। सिनेमाघर की सुविधा हर जगह नहीं है, जबकि दूरदर्शन लगभग हर जगह और हर घर में मौजूद है। दूरदर्शन के कार्यक्रम अपनी सुविधानुसार घर बैठे देखे जा सकते हैं। 


कुछ समय पूर्व तक टेलीविज़न पर केवल 'दूरदर्शन' के कार्यक्रम ही प्रसारित किए जाते थे। किंतु अब बी. बी. सी., जी टी. वी., स्टार टी. वी. आदि निजी कंपनियों को भी इस क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति दे दी गई है। अब टेलीविज़न पर ये निजी कंपनियाँ भी अपने-अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करती हैं। टेलीविज़न के आगे मनोरंजन के अन्य सभी साधन फीके पड़ गए हैं। मनोरंजन के अन्य वैज्ञानिक साधनों में टेपरिकार्डर, वीडियो, वीडियोगेम आदि का भी समावेश होता है।


इन वैज्ञानिक साधनों से हमारा मनोरंजन तो होता ही है, हमें देश-विदेश की कला, सभ्यता और संस्कृति की भी जानकारी मिलती है। किंतु इन साधनों, विशेषकर दूरदर्शन के अत्यधिक उपयोग से विदयार्थियों के अध्ययन में बाधा पहुँचती है। कई बार दूरदर्शन पर निकृष्ट कोटि के कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। 


सामान्य हानिकारक प्रभाव पड़ता है। दरदर्शन और वीडियो फिल्मों से समय की भी बहुत बरबादी होती है। अतः मनोरंजन के इन वैज्ञानिक साधनों का उपयोग हमें विवेकपूर्ण ढंग से करना चाहिए। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए । और आगे दिया हुआ दूसरा निबंध पढ़ना मत भूलियेगा धन्यवाद  ।


निबंध 2

मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध | Essay on Modern Means of Entertainment in Hindi

मनोरंजन मनुष्य की एक स्वाभाविक आवश्यकता है। काम-काज से थका और एकरसता से ऊबा हुआ मानव किसी-न-किसी तरह अपने मन को प्रसन्न करना चाहता है। प्रसन्नता के रंग से मन को रँगना ही मनोरंजन है। मनोरंजन के लिए मनुष्य ने तरह-तरह के साधनों की खोज की है।


मनोरंजन के साधन समय के अनुसार बदलते रहते हैं। प्राचीन समय में नृत्य, संगीत, द्यूत और निशानेबाजी मनोरंजन के मुख्य साधन थे। शासक वर्ग के लोग शिकार और रथदौड़ द्वारा मन बहलाते थे। पशुओं तथा पक्षियों के द्वंद्वयुद्ध भी लोगों का अच्छा मनोरंजन करते थे।


आज मनोरंजन के साधनों में अद्भुत क्रांति आ गई है। कुछ दशक पहले लोग कठपुतलियों के खेल, नाटक और नौटंकी देखा करते थे। घर-घर ग्रामोफोन बजता था। जाद के खेल, मेले तथा नटों के तमाशे भी अच्छा रंग जमाते थे। कुश्ती के दंगल भी लोगों को अखाड़ों की ओर खींच लाते थे। 


फिर फिल्मों का जमाना आ गया। गीत, संगीत, नृत्य, अभिनय, कहानी और संवाद का अनोखा मेल पेश करके फिल्मों ने आम जनता का मन मोहित कर लिया। बरसों तक रेडियो मनोरंजन का अच्छा साधन रहा। दूरदर्शन ने तो मनोरंजन का पिटारा ही खोल दिया। अपने जीवंत प्रसारणों, धारावाहिकों तथा अन्य कार्यक्रमों से उसने आबालवृद्ध सबका दिल जीत लिया है।


मनोरंजन के घरेलू साधनों में ताश, कैरम, पिंगपोंग, बेडमिंटन, शतरंज तथा चौपड़ आदि बड़े शौक से खेले जाते हैं। बाहरी या मैदानी खेलों में क्रिकेट, फुटबाल, वॉलीबाल तथा टेनिस का बोलबाला है। क्रिकेट, फुटबाल तथा टेनिस के आंतरराष्ट्रीय मुकाबलों को टी. वी. पर देखकर करोड़ों लोग अनोखे आनंद और रोमांच का अनुभव करते हैं। घुड़दौड़ के शौकीन रेसकोर्स के मैदान में पहुँच जाते हैं।


आजकल कंप्यूटर द्वारा इंटरनेट पर मन बहलाने का नया रास्ता मिल गया है। उस पर आप घर बैठे किसी भी जगह का दृश्य देख सकते हैं। इंटरनेट पर आप अपने मित्रों से दिल खोलकर बातें कर सकते हैं और नए मित्र भी बना सकते हैं। 


इंटरनेट हमें सारी दुनिया से जोड़ देता है। मनोरंजन के आधुनिक साधनों में साहित्य का भी बड़ा महत्त्व है। कहानी, उपन्यास तथा पत्र-पत्रिकाएँ लोगों को ज्ञान के साथ मनोरंजन भी देते हैं। फोटोग्राफी का शौक भी अपने आपमें एक अनोखा मनोरंजन है।