विज्ञान और शिक्षा पर निबंध हिंदी | science and education essay in hindi

 

विज्ञान और शिक्षा पर निबंध हिंदी | science and education essay in hindi

आज का युग विज्ञान का युग है। वैज्ञानिक आविष्कारों और साधनों के बिना आज मनुष्य को जीना असंभव-सा लगता है। शिक्षा के क्षेत्र में तो विज्ञान ने बहुत ही महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। वैसे, शिक्षा तो सदियों से दी जा रही थी और विभिन्न विषय सिखाए जा रहे थे, लेकिन विज्ञान का आधार मिल जाने से आज शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा चमत्कार हो गया है। आज शिक्षा और विज्ञान, एक-दूसरे के पूरक बन गए हैं।


किसी विषय के क्रमबद्ध और व्यवस्थित ज्ञान को 'विज्ञान' कहते हैं। विज्ञान के अंतर्गत तथ्यों, घटनाओं, उनके कारणों, नियमों आदि की छानबीन की जाती है। किसी विषय के बारे में व्यवस्थित सोच-विचार, प्रयोगों तथा प्रत्यक्ष निरीक्षण द्वारा जानकारी प्राप्त की जाती है।


शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य अपने चारों ओर के वातावरण को समझना और उसमें कार्य करनेवाले तत्त्वों तथा परिवर्तन लानेवाले कारकों के बारे में जानकारी प्राप्त करना है। इसके साथ-साथ इन तत्त्वों और कारकों की प्रक्रिया के बारे में जानना भी शिक्षा का उद्देश्य है। इन उद्देश्यों को पूरा करने में वैज्ञानिक आविष्कारों से अमूल्य सहायता मिली है।


मनुष्य प्रकृति के रहस्य जानने में तभी सफल हो सका, जब उसने विज्ञान की मदद नी। ज्यों-ज्यों प्रकृति के रहस्यों से परदा उठता गया, शिक्षा के क्षेत्र का विस्तार होता गया। सका सारा श्रेय विज्ञान और वैज्ञानिक आविष्कारों को है। विज्ञान ने ही मनुष्य को मुद्रणपदान किया, जिसकी सहायता से बहुत बड़ी संख्या में पस्तके छापी जाने लगी तथा के प्रसार में अभूतपूर्व प्रगति हुई।


 विज्ञान ने ही मानव को दूरदर्शी यंत्र प्रदान किया, जिसके द्वारा वह अंतरिक्ष में भ्रमण करते ग्रहों, तारों आदि को देख सका और अपना खगोल संबंधी ज्ञान बढ़ा सका। विज्ञान ने ही सूक्ष्मदर्शी यंत्र का आविष्कार किया, जिसकी मदद सेमानव कीटाणुओं और जीवाणुओं के बारे में अध्ययन कर सका और उसने अपने चिकित्सा तथा स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान में वृद्धि की।


शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान करनेवाला वैज्ञानिक आविष्कार रेडियो अथवा टेपरिकार्डर है। इनके माध्यम से विद्यार्थी विश्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति की बात सुन सकते हैं। रेडियो द्वारा विदेशी भाषाओं के शुद्ध और सही उच्चारण का ज्ञान कराया जा सकता है। रेडियो नाटकों तथा रूपकों द्वारा पुराने और आज के जमाने की घटनाएँऔर वर्तमान परिस्थितियाँ विद्यार्थियों के सामने प्रभावशाली ढंग से रखी जा सकती हैं। प्रौढ़-शिक्षा के क्षेत्र में भी रेडियो का काफी योगदान रहा है।


चलचित्र के आविष्कार ने तो शिक्षा-जगत में क्रांति ला दी है। चलचित्रों द्वारा दूसरे देशों की भौगोलिक परिस्थितियाँ दिखाई जाती हैं और उन देशों के निवासियों की रहन-सहन के बारे में जानकारी दी जाती है। विद्यार्थियों के समक्ष ऐतिहासिक घटनाएँ प्रस्तुत की जाती हैं। 


अनेक प्रकार के वैज्ञानिक प्रयोग दिखाए जाते हैं और उनकी जटिलताएँ समझाई जाती हैं। विभिन्न प्रकार के कला-कौशल तथा तकनीक की शिक्षा दी जाती है। चलचित्र की ही भाँति प्रोजेक्टर भी एक उपयोगी साधन है। इसकी मदद से स्लाइडों द्वारा अनेक जटिल बातें स्पष्ट की जाती हैं। एपिडायस्कोप द्वारा छोटे आकार के चित्र, मानचित्र आदि को परदे पर बहुत बड़े आकार में दिखाया जाता है और उनका विवरण समझाया जाता है। इन साधनों द्वारा लोगों को बहुत बड़ी संख्या में एक साथ शिक्षित किया जा सकता है।


दूरदर्शन ने भी शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया है। चलचित्र की ही भाँति दूरदर्शन भी दृश्य और श्रव्य, दोनों है। इसके शैक्षणिक कार्यक्रम घर बैठे देखे जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, वी. सी. आर. तथा कैसेटों द्वारा भी महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों को अपनी इच्छानुसार देखा जा सकता है।


विज्ञान ने शिक्षकों और विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास किया है। आज प्रत्येक घटना को कार्य-कारण संबंध की कसौटी पर परखा जाने लगा है। सभी विषयों का अध्ययन-अध्यापन वैज्ञानिक पद्धति से होने लगा है। संगणक (कंप्यूटर) के आविष्कार से तो शिक्षा के क्षेत्र में आमूल परिवर्तन होने की संभावना है, क्योंकि वह शिक्षक का स्थान भी ले सकता है। 'इंटरनेट' के माध्यम से विद्यार्थी संसार के किसी भी कोने में बैठे हुए विषय-विशेषज्ञ से विचार-विमर्श कर अपनी शंकाओं का समाधान कर सकता है।दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।