धार्मिक स्थल की यात्रा पर निबंध | Essay on pilgrimage to religious place

 

 धार्मिक स्थल की यात्रा पर निबंध |  Essay on pilgrimage to religious place

नमस्कार  दोस्तों आज हम धार्मिक स्थल की यात्रा पर निबंध इस विषय पर निबंध जानेंगे। भूमिका-भारत प्राचीन काल से धर्म-प्रधान देश रहा है। यहाँ वायुमण्डल में कुछ तत्व हैं, कि यहाँ के पुष्पों में सुगन्ध उत्पन्न होती है, फलों में मधुर रस होता है और मनुष्यों में प्रायः आध्यात्मिकता पायी जाती है। भारत भूमि में दार्शनिक विचारों की पूर्ण उन्नति हुई। जीवन के सूक्ष्म दर्शन का यहाँ निरूपण किया गया है। भारत के ऋषियों में यह अनुभव था कि साधारण जनता धर्म पर विश्वास करती है।


 वह प्रत्येक बात को तर्क के आधार पर नहीं देखती। अतः उन तत्वज्ञ ऋषियों ने जीवन की विभिन्न आवश्यक बातों को धार्मिक रूप प्रदान कर दिया। प्रत्येक तीर्थ-स्थानों का अपना महत्वपूर्ण इतिहास होता है। पुराणों में इन तीर्थों के विषय में महत्वपूर्ण उल्लेख किया गया है। पौराणिक कथाओं पर अविश्वास करने वाले की बात तो नहीं की जा सकती, फिर भी आम जनता उन पर पूर्ण विश्वास करती है और उसी के अनुसार तीर्थों की यात्राएं किया करती हैं। मनुष्य इन तीर्थस्थलों पर जाकर अपने जीवन को सुखमय एवं आनन्द से परिपूर्ण बनाते हैं।


तीर्थ यात्रा-भारत के प्रमुख तीर्थ स्थानों में पुष्कर का महत्वपूर्ण स्थान है। मेले के अवसर पर इस तीर्थ का दृश्य अत्यन्त आकर्षण से पूर्ण हो जाता है। हर वर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक इस तीर्थ का मेला चलता है। यह अजमेर शहर से पश्चिम में 7 मील दूर स्थित है। अजमेर से पुष्कर आने वाली सड़क बीच में स्थित नाग पहाड़ को पार करती हुई जा रही है। यह तीर्थस्थान चारों ओर से पर्वतों से घिरा हुआ है। पर्वतों के आस-पास टीले और भूरे रेत की ऊंची-ऊँची भूमि है। 


इस स्थान के चारों ओर सड़कें बनी हुई हैं। इन सड़कों पर वर्तमान युग में मोटर-बसें चला करती हैं। इसलिए इन मोटरों द्वारा हजारों यात्री प्रतिदिन आते रहते हैं। यहाँ के कस्बे सामान्य हैं, न बहुत बड़ा है न छोटा, लगभग 21-22 हजार जनसंख्या है, इनम स अधिकांश लोग ब्राह्मण हैं। अधिकतर वहाँ पण्डे हैं तथा कुछ लोग व्यवसाय करते है, बहुत थाड़े लोग ऐसे हैं जो विभिन्न स्थानों में नौकरी करते हैं।


 इस छोटे से कस्बे में छोटे-बड़े कल मिलाकर 500 मन्दिर है, जिनमें ब्रह्माजी का मन्दिर, रंगनाथ जी का मन्दिर, श्रीराम बैकुण्ठ मन्दिर तथा वाराह भगवान का मन्दिर मुख्य रूप से प्रसिद्ध हैं। इनके अतिरिक्त सावित्री जी तथा शापमोचनी देवी के मन्दिर कस्बे में दो छोरों पर ऊँचे पहाड़ी के टीलों पर बने हए हैं।


परे कस्बे में पष्कर झील को तीन ओर से घेरकर बनाया हआ है। एक तरफ खाली जगह में गन्ना, जौं आदि विभिन्न वस्तुओं की खेती की जाती है। इन सबके अतिरिक्त यहाँ पर गलाब की खेती सबसे अधिक होती है। अनेक बागीचे हैं तथा पुष्कर की पवित्र झील के किनारे पर ही एक आकर्षित करने वाली मस्जिद बनी हुई है, जिसका निर्माण किसी मुसलमान बादशाह ने किया था। 


कस्बे में कुछ मुसलमानों के घर भी हैं। इस प्रकार से यहाँ पर विभिन्न प्रकार की बस्ती बनी हुई हैं। इस छोटे से शहर में लगभग 12 बड़ी-बड़ी धर्मशालाएँ हैं। यहाँ पर प्रत्येक बड़े मन्दिर में कुछ यात्रियों के ठहरने का प्रबन्ध होता है। एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, राजकीय चिकित्सालय, पुलिस चौकी, पोस्ट ऑफिस, रेलवे की आउट ऐजेन्सी तथा दो संस्कृत महाविद्यालय हैं। प्राइमरी तथा मिडिल स्कूल भी हैं। यह यहाँ की रूपरेखा है।


तीर्थस्थल का महत्व-ऐसा लोगों का विश्वास है कि कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक प्रायः सभी तीर्थों के अन्तर्गत विभिन्न तीर्थों का प्रभाव रहता है, जिसमें पूर्णिमा का महत्व सर्वाधिक है। एकादशी से ही पचासों बसें और टैक्सियाँ सवारियों को चारों दिशाओं से ढोकर लाने लगती हैं और कार्तिक शुक्ल 14 को पुष्कर में लाखों यात्री आते हैं। राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश आदि स्थानों से यात्री विशेष रूप से यहाँ आते हैं। 


अन्य स्थानों से भी बहुत यात्री यहाँ यात्रा करने आते हैं। अजमेर स्टेशन पर ही पुष्कर के पण्डे यात्रियों को मिल जाते हैं और उन्हें पुष्कर की यात्रा कराते हैं। विधिपूर्वक स्नान, दर्शन कराकर उनके रहने का भी प्रबन्ध करते हैं। पुष्कर घाट पर स्नान करने के उपरान्त उनसे दान कराते हैं। यदि किसी पण्डे के यजमान से दूसरा पण्डा पूजा लेता है तो दोनों में अच्छा-खासा वाद-विवाद हो जाता है, कभी-कभी उनके झगड़ों का निर्णय उन बैरियों से होता है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी से चली आ रही हैं। कभी-कभी वे यजमानों से थोड़ा-बहुत तंग करके भी दान कराते हैं। 


उनमें से अधिकांश विजया छानते हैं। उनका कार्य यजमानों को पीछे घूमकर अपनी जीविका तथा मन्दिरों के उत्सवों में सहयोग देना होता है। गाँवों की स्त्रियाँ घाघरा पहने और लाल-पीली ओढ़नी ओढ़े झुण्ड-की-झुण्ड गाती हुई आती-जाती दिखायी देती हैं। राजस्थान के गाँव के ग्रामीण अपनी वेशभूषा में लाल-सफेद फेंटे को सिर पर लपेटकर इधर-उधर घूमते दिखाई पड़ते हैं। सबमें धार्मिक भावना, पर्याप्त गन्दगी, काफी सीधापन तथा पूर्ण प्राचीनता दिखाई देती है। कुछ नई सभ्यता के राजस्थानी धोती, कमीज पर साफा बाँधे दिखायी देते हैं। 


मन्दिर में इन दिनों अधिक चहल-पहल दिखाई देती है। सभी कर्मचारी अपने काम में व्यस्त हैं। मेले के अवसर पर मुख्य मन्दिरों में विशेष आयोजन किया जा रहा है। कहीं पर प्रवचन होता रहता है, तो कहीं कथायें होती रहती हैं। कहीं रसोई और ब्राह्मण भोजन की चहल-पहल दिखाई दे रही है। उन दिनों न जाने कहाँ-कहाँ के भिखारी आकर सड़कों के किनारों पर डेरा जमा देते हैं।


 उनमें प्रत्येक तरह की कला से, करुणा से भीख माँगने वाले होते हैं। आजकल चमकते हुए कपड़ों में फुदकते सिन्धियों और पंजाबियों की संख्या कम नहीं होती है। सभी यात्री मन्दिरों में श्रद्धापूर्वक दर्शन करते हैं। प्रसाद लेते और कथा सुनते हैं। ब्रह्माजी के मन्दिर में तथा राम बैकुण्ठ मन्दिर में भीड़ लगी होती है।


आकर्षक दृश्य-उसके अतिरिक्त लाखों बैल, ऊँट तथा सैंकड़ों घोड़ों आदि पशुओं का बेचना-खरीदना वहाँ होता रहता है। उस मेले में जाने पर दुनिया का एक दूसरा ही रूप दिखायी देता है। ऊँटों की परीक्षा लोग अनेक प्रकार से करते हैं। उनकी दौड़ भी देखने योग्य होती है। इन पशुओं से सम्बन्धित अनेक प्रकार की वस्तुएँ वहाँ पर बिकती हैं। गन्ने की बिक्री. बहुत अधिक होती है। ऊँटों पर लादकर आस-पास के किसान गन्ना लाते हैं और बेचते हैं। सभी यात्री गन्ना खरीदते हैं। इसलिए इस मेले का महत्व विशेष रूप से है।


उपसंहार-बस्ती के किनारे अनेक साधुओं और संन्यासियों के लिए पक्के आश्रम बने हुए होते हैं और वहाँ पर सभी प्रकार के व्यक्ति आकर रुकते हैं। उन आश्रमों में एक प्रकार की शान्ति का वातावरण बना रहता है। उन आश्रमों में पुष्कर का महत्व है।


 ब्रह्माजी ने एक कमल छोड़ा जो उसी झील के पास गिरा। उसी तट पर ब्रह्माजी का यज्ञ था। शंकर जी किसी कारणवश खुश नहीं हुए और उनके यज्ञ में अनेक प्रकार की बाधायें डालने का प्रयास किया। ब्रह्माजी के प्रार्थना करने पर भोले बाबा प्रसन्न हो गए-और यज्ञ सफल हो गया- और तभी से सिद्धपीठ माना गया। इस प्रकार की अनेक कथायें प्रसिद्ध हैं। यह है भारत का तीर्थगुरु पुष्करराज। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।