दूरदर्शन और शिक्षा पर निबन्ध | Essay on Television And Education in Hindi

 

दूरदर्शन और शिक्षा पर निबन्ध | Essay on Television And Education in Hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम  दूरदर्शन और शिक्षा पर निबन्ध इस विषय पर निबंध जानेंगे। हमारे देश ने लोकतंत्रात्मक शासन-व्यवस्था स्वीकार की है। लोकतंत्र की सफलता सामान्य जनता की शिक्षा पर निर्भर होती है। शिक्षा से लोगों में सहानुभूति, भाईचारा, सहकारिता, सहनशीलता, स्वार्थत्याग आदि गुणों की वृद्धि होती है। ये गुण लोकतंत्र की सफलता की ओर ले जाते हैं। इससे स्पष्ट है कि हमारे जीवन में शिक्षा का असाधारण महत्त्व है।



दूरदर्शन ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। दूरदर्शन में दृश्य और श्रव्य दोनों माध्यमों का समावेश होता है। इन दोनों माध्यमों का एक साथ उपयोग कर जो शिक्षा दी जाती है, वह बहुत प्रभावकारी होती है। दूरदर्शन पर हम शैक्षणिक कार्यक्रमों को सनने के साथ-साथ देख भी सकते हैं। 



इससे शैक्षणिक मुद्दों को समझना आसान हो जाता है। अपनी इस विशेषता के कारण दूरदर्शन शिक्षा का अत्यंत महत्त्वपूर्ण साधन सिद्ध हुआ है।



हमारे देश की जनसंख्या बहुत तीव्र गति से बढ़ रही है। स्कूलों, कालेजों और विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। परंतु उस अनुपात में पुस्तकालयों, प्रयोगशालाओं आदि की सुविधाएँ नहीं बढ़ रही हैं। 




ऐसी स्थिति में दरदर्शन शिक्षा का प्रभावकारी माध्यम बन सकता है। दूरदर्शन के माध्यम से विज्ञान के जटिल प्रयोगों को विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है। दूरदर्शन द्वारा विद्यार्थियों को ऐतिहासिक घटनाओं की प्रत्यक्ष जानकारी दी जा सकती है। 



उन्हें देश-विदेश के लोगों के जीवन, सभ्यता तथा संस्कृति से परिचित कराया जा सकता है। दूरदर्शन सारे संसार को हमारे छोटे-से कमरे में उपस्थित कर देता है। इसके माध्यम से हम अतीत की घटनाओं को प्रत्यक्ष देख सकते हैं और सारी दुनिया की सैर का आनंद उठा सकते हैं। 



इतना ही नहीं, विद्यालय की छोटी-सी कक्षा में जिन विषयों की जानकारी प्राप्त करना कठिन है, दूरदर्शन की सहायता से विद्यार्थी उनका भी ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।



हमारे देश में आज भी करोड़ों लोग निरक्षर हैं। निरक्षर लोगों को साक्षर एवं शिक्षित बनाने में दूरदर्शन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। दूरदर्शन विशाल जनसमुदाय तक पहुँचने का उत्कृष्ट साधन है। इसके माध्यम से कृषकों को खेती की विकसित एवं वैज्ञानिक पद्धतियों की जानकारी दी जा सकती है। 


विभिन्न व्यवसायों में लगे लोगों की व्यावसायिक कुशलताएँ बढ़ाई जा सकती है। लोगों को जीवनोपयोगी कला-कौशल तथा दस्तकारी की शिक्षा दी जा सकती है। आम जनता को संसार में होनेवाले परिवर्तनों की जानकारी दी जा सकती है। लोगों को नई-नई खोजों तथा आविष्कारों से परिचित कराया जा सकता है।



शिक्षाप्रद सामाजिक कार्यक्रमों द्वारा दहेज, बालविवाह, शादी में क्षमता से अधिक खर्च आदि के दुष्परिणामों से परिचित करा कर जनसाधारण को सही अर्थों में शिक्षित किया जा सकता है।



सन '०१ की जनगणना के अनुसार हमारे देश की जनसंख्या का केवल ६५.३८ प्रतिशत ही साक्षर हो पाया है। अतः देश के आर्थिक विकास की दृष्टि से प्रौढ़ शिक्षा का अधिकाधिक प्रसार होना चाहिए। इस दिशा में प्रगति करने के लिए दूरदर्शन बहुत प्रभावकारी माध्यम सिद्ध हो सकता है। 



आज देश के कोने-कोने में दूरदर्शन केंद्र स्थापित हो गए हैं। उनके माध्यम से निरक्षर प्रौढ़ व्यक्तियों को साक्षर बनाने के साथ ही उन्हें उनकी सामाजिक जिम्मेदारी का भी ज्ञान कराया जा सकता है। उन्हें अंधविश्वासों और कुरीतियों के अनिष्टकारी परिणामों से अवगत कराया जा सकता है।



उन्हें देश की वर्तमान समस्याओं की जानकारी दी जा सकती है और विकास कार्यों में सहयोग देने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। सबसे सुविधाजनक बात यह है कि प्रौढ़ों को किसी विद्यालय में जाने की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि अपने घरों में बैठे-बैठे ही दूरदर्शन के कार्यक्रमों द्वारा वे यह सारी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।



वास्तव में दूरदर्शन का समुचित उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान कर सकता है। हर्ष की बात है कि भारत सरकार और राज्य सरकारें इस दिशा में सराहनीय प्रयास कर रही हैं और उनके प्रयासों के अच्छे परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।