दूरदर्शन निबंध हिंदी | television essay in hindi

 

दूरदर्शन निबंध हिंदी | television essay in hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम दूरदर्शन निबंध हिंदी इस विषय पर निबंध जानेंगे। आज वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के फलस्वरूप उद्योग-धंधे बहुत तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। अनेक प्रकार की सुविधाएँ मिलने से विश्व की जनसंख्या अबाध गति से बढ़ती जा रही है। इस बढ़ती हुई जनसंख्या की तुलना में संसाधनों की वृद्धि की गति बहुत धीमी है।



पहले की अपेक्षा आज लोगों की आवश्यकताएँ भी बहुत बढ़ गई हैं और निरंतर बढ़ती ही जा रही हैं। अपनी आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए मनुष्य दिन-रात भाग-दौड़ करता रहता है। इससे उसका जीवन यांत्रिक और नीरस बन गया है। 



जब वह जीवन-संघर्ष से ऊब जाता है, तब मनोरंजन खोजने लगता है। यह आवश्यक भी है, क्योंकि मनोरंजन से उसे जीवन-संघर्ष का सामना करने की शक्ति प्राप्त हो जाती है।



आधुनिक युग में मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ साधन तो पुराने जमाने से चले आ रहे हैं, जैसे नृत्य, संगीत, ताश, शतरंज, कुश्ती आदि। आधुनिक युग में वैज्ञानिक प्रगति के फलस्वरूप मनोरंजन के कई नए साधन भी उपलब्ध हुए हैं।



इन साधनों में रेडियो, चलचित्र, दूरदर्शन, वीडियो आदि प्रमुख हैं। इनमें से प्रत्येक साधन का अपना महत्त्व है, किंतु अपनी अनेक विशेषताओं के कारण दूरदर्शन मनोरंजन का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन बन गया है।



दूरदर्शन दृश्य और श्रव्य, दोनों रूपों से हमारा मनोरंजन करता है। हम दूरदर्शन पर कार्यक्रम देख भी सकते हैं और सुन भी सकते हैं। इसके साथ-साथ दूरदर्शन शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में सुलभ है। देश की लगभग ८० प्रतिशत जनता दूरदर्शन के कार्यक्रम देखती है। 


मनोरंजन के साधनों के रूप में समाचारपत्रों, पत्रिकाओं, पुस्तकों आदि का भी विशिष्ट स्थान है। लेकिन जिस देश में अधिकांश लोग निरक्षर हों, वहाँ इन साधनों की उपयोगिता बहुत कम हो जाती है। ऐसी परिस्थिति में दूरदर्शन ही मनोरंजन का सबसे महत्त्वपूर्ण और उपयोगी साधन हो गया है।



आजकल दूरदर्शन पर अनेक मनोरंजक कार्यक्रम पेश किए जाते हैं, जैसे चित्रहार, दोपहर का प्रसारण आदि। कुछ समय पहले दूरदर्शन पर 'रामायण' तथा 'महाभारत' पर आधारित धारावाहिक दिखाए गए थे। उनकी विश्व भर में सराहना हुई थी। उन धारावाहिकों से लोगों का मनोरंजन तो हुआ ही था,



उन्हें प्राचीन भारतीय संस्कृति की झलक भी देखने को मिली थी। कुछ ही समय पूर्व पेश किए गए 'चाणक्य' धारावाहिक से भी लोगों को प्राचीन भारत की राजनीतिक परिस्थिति तथा सभ्यता एवं संस्कृति की झाँकी मिली थी। दूरदर्शन के अन्य मनोरंजक कार्यक्रमों में समाचारों के अलावा खेल-कूद, विविध प्रकार के धारावाहिक, फिल्में आदि प्रमुख हैं। इनके अतिरिक्त अनेक चैनलों की भी शुरुआत हो गई है, जिन पर रात दिन तरह-तरह के कार्यक्रम आते रहते हैं।



किंतु सिक्के का दूसरा पहलू भी है। दूरदर्शन के माध्यम से लोगों का घर बैठे-बैठे मनोरंजन हो जाता है। इससे उनकी क्रियाशीलता कुंठित हो जाती है। दूरदर्शन पर हिंसा और मार-धाड़ से भरपूर कार्यक्रम देखते-देखते बच्चों और युवा पीढ़ी की संवेदनशीलता समाप्तप्राय हो जाती है। 


दूरदर्शन के कार्यक्रमों के कारण विद्यार्थियों के विद्याध्ययन में भारी बाधा पड़ने लगी है। दूरदर्शन के कारण जीवन के गंभीर विचारों के लिए समय निकालना कठिन हो गया है।फिर भी, मनोरंजन के साधन के रूप में दूरदर्शन का महत्त्व दिनोदिन बढ़ रहा है।   


औद्योगिक प्रगति तीव्रतर हो रही है। जनसंख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। शहरों के रूप में सीमेंट और कान्क्रीट के जंगल बढ़ रहे हैं। लोगों के जीवन का एकाकीपन बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में मनोरंजन के साधन के रूप में दूरदर्शन का महत्त्व भी बढ़ रहा है। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।