युवा पीढ़ी हिंदी निबंध | essay on youth in hindi

 

 युवा पीढ़ी हिंदी निबंध | essay on youth in hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम युवा पीढ़ी हिंदी निबंध इस विषय पर निबंध जानेंगे। किसी भी राष्ट्र की वास्तविक शक्ति उसकी युवा पीढ़ी में निहित होती है। राष्ट्र की प्रगति एवं विकास की रूपरेखा विभिन्न क्षेत्रों के नेतागण बनाते हैं। किंतु उनकी योजनाओं को कार्यान्वित करने का काम उस राष्ट्र की युवा पीढ़ी ही करती है।



किसी भी राष्ट्र की युवा पीढ़ी की जागरूकता तथा अनुशासनप्रियता से उस राष्ट्र की प्रगति का पता चलता है। यवा पीढी की व्यस्तता, खेलों में रुचि, उच्च शिक्षा आदि से राष्ट्र की जीवनीशक्ति का परिचय मिलता है। युवा पीढ़ी अपने राष्ट्र के अतीत, वर्तमान और भविष्य का सच्चा चित्र उपस्थित कर देती है।



आज भारत की युवा पीढ़ी क्षुब्ध, व्यथित और दिशाहीन हो गई है। आज यह पीढी नाविक विहीन नौका की तरह समय और परिस्थितियों की लहरों पर उठती-गिरती दिखाई दे रही है। युवा जनों ने स्वार्थी और अवसरवादी नेताओं को देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए देखा है। 



उन्होंने धनलोलुप नेताओं को सत्ता की कुर्सी के लिए षड्यंत्र करते हुए देखा है। परिणामस्वरूप, उनके मन में असंतोष तथा आक्रोश की ज्वाला जल रही है। उनके मन की व्यथा को समझने का प्रयत्न कोई नहीं करता। लोग यही मान बैठे हैं कि आज की युवा पीढ़ी दिशाहीन हो गई है।



हमारे देश में आजकल राजनेताओं का वर्चस्व खूब बढ़ रहा है। उनके संकेत मात्र पर बड़े से बड़े परिवर्तन होते रहते हैं। उनके पाखंड और आडंबर से आकर्षित होकर अनेक युवक उनके अनुयायी बन जाते हैं। वे इस भ्रम में रहते हैं कि उनके नेता उन्हें अपने स्वप्नों और महत्त्वाकांक्षाओं को साकार करने के मार्ग बताएँगे।



किंतु स्वार्थी नेतागण उन्हें सही दिशा न बताकर उनकी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। अपने स्वार्थ के लिए वे उन युवकों को कभी क्षेत्रीयता की ओर ले जाते हैं, तो कभी धर्मांधता की ओर। कभी ये नेता उनकी शक्ति का दुरुपयोग भाषाई आंदोलनों के लिए करते हैं, तो कभी सांप्रदायिक दंगों के लिए। अंत में ये नेता इन युवकों को कट्टर अपराधी बना देते हैं।



आजादी मिलने के बाद हमारे देश में 'हरित क्रांति' हुई। औद्योगिक क्षेत्रों में भी पर्याप्त प्रगति हुई। फलस्वरूप, देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़ी और चारों ओर संपन्नता की झलक दिखाई देने लगी। युवा पीढ़ी को आशा थी कि इस समृद्धि में से उसे भी उचित भाग मिलेगा। किंतु जब उसने देखा कि संपूर्ण समृद्धि तो समाज और देश के ठेकेदार लूट रहे हैं, तो वह क्षोभ और निराशा से भर उठी। जब उसने देखा कि उसके हिस्से तो केवल बेकारी और बेरोजगारी ही आई है, तो वह अनुशासनहीनता पर उतर आई।



आज इस देश में युवा पीढ़ी के सामने महान आदर्श उपस्थित करनेवाला राष्ट्रीय स्तर का कोई नेता नहीं है। महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉ. राजेंद्रप्रसाद, स्वातंत्र्यवीर सावरकर आदि महान नेताओं के आह्वान पर उस समय की युवा पीढ़ी ने स्वतंत्रता-संघर्ष के यज्ञ में जीवन की अनमोल आहुतियाँ दी थीं।



आज महान आदर्शवादी नेताओं के अभाव में युवावर्ग भ्रमित होकर भ्रष्टाचारियों को ही अपना नेता मान बैठा है। सत्यप्रियता, त्याग, देशभक्ति, अनुशासनप्रियता आदि सद्गुणों को त्याग कर वह फैशनपरस्त, अवसरवादी, क्रूर तथा स्वार्थी बनता जा रहा है।


वह श्रम करने से दूर भागने लगा है और रातोरात धनवान बन जाने के लिए अनुचित से अनुचित काम करने में भी नहीं हिचकिचाता।बेकारी, बेरोजगारी और प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद इस देश के करोड़ों युवक सही मार्ग पर चलने के लिए व्यग्र हैं। 


आवश्यकता इस बात की है कि उनकी शक्ति का रचनात्मक कार्यों में उपयोग किया जाए। सरकार, समाज के कर्णधारों और अभिभावकों का यह दायित्व है कि वे युवावर्ग का सही मार्गदर्शन करें, जिससे भावी भारत के निर्माण में उनकी शक्ति का सदुपयोग हो सके। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।