ग्राम सुधार पर निबंध | Gram Sudhar Par Nibandh

 

 ग्राम सुधार पर निबंध  | Gram Sudhar Par Nibandh

नमस्कार  दोस्तों आज हम ग्राम सुधार पर निबंध इस विषय पर निबंध जानेंगे।  भारत कृषि प्रधान देश है। देश की अधिकांश जनसंख्या कृषि-कार्य मे संलग्न है। यह जनसंख्या छोटे-छोटे ग्रामों में निवास करती है। भारत में कृषि कार्य अधिक होने के कारण ग्रामों की अधिकता स्वाभाविक है। गांधीजी कहा करते थे कि 'भारत गाँवों में बसता है।' यह पूर्णतया सत्य है। ग्राम भारतीय सभ्यता के प्रतीक हैं। 


भोजन व नित्यप्रति की अन्य आवश्यकताएँ ग्राम ही पूर्ण करते हैं। कारखानों के लिए कच्चा माल भी इन्हीं ग्रामों से आता है। भारत का औद्योगिक रूप ग्रामीण कृषकों पर ही निर्भर है। देश की संपदा इन्हीं में निवास करती है। वस्तुत: भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल आधार भारतीय कृषक हैं। स्पष्ट है कि हमारी संपन्नता या विपन्नता ग्रामों पर ही निर्भर है। ग्राम यदि सुखी व समृद्ध होंगे तो देश भी समृद्ध होगा। हमारे गाँव यदि हीन दशा में होंगे तो देश भी दीन-हीन एवं सब प्रकार से जर्जर होगा। हमारे आर्थिक जीवन की उन्नति के लिए ग्रामों की उन्नति परम आवश्यक है।


ग्रामों की वर्तमान स्थिति-'ग्राम' शब्द सुनते ही हमारी आँखों के सामने एक चित्र-सा खिंच जाता है। लहलहाते खेत, जल से पूर्ण तालाब, सरल सरल निष्पाप ग्रामीण कृषक, वहाँ का सरल-सौम्य जीवन एवं चारों ओर बिखरा प्रकृति का वैभव आँखों के सामने दौड़ जाता है, क्योंकि पुस्तकों में हमने यही पढ़ा है। संभव है कि कभी हमारे ग्राम ऐसे ही रहे हों, पर आज यदि ग्रामों में जाकर देखें तो ग्रामीण जीवन में विषमता की दरारें दिखाई देंगी। आज हमारे ग्रामों की दशा बड़ी दयनीय है। 


इसका कारण स्पष्ट है कि हम कृत्रिमता-प्रेमी हो गए हैं। ग्रामों की स्वाभाविकता अच्छी नहीं लगती। भारत की आर्थिक हीनता, भुखमरी और बेकारी का यही एकमात्र कारण है कि हम पाश्चात्य सभ्यता में रंगकर कृत्रिमता की ओर आकर्षित होते हैं। ग्रामों की हमने उपेक्षा कर दी है और हम शहरों के कृत्रिम जीवन को अपना रहे हैं और हमारा ध्यान उन्हीं की उन्नति की ओर है। हमारी सरकार नगरों की उन्नति के लिए पूर्ण प्रयत्नशील है। पक्की-चौड़ी सड़कें, विशाल अट्टालिकाएँ, जगमगाता विद्युत्-प्रकाश तथा बहुत-सी सुंदर एवं कलात्मक वस्तुएँ नगरों में दिखाई पड़ती हैं। 


वहाँ स्कूल-कालेज भी खोले गए हैं। नागरिकों के मनोरंजन का भी प्रबंध है। नागरिक जीवन हर प्रकार से सुखी और समृद्ध है। परंतु ग्रामों की ओर हमारी सरकार ने तनिक भी ध्यान नहीं दिया। फलस्वरूप भारतीय संस्कृति के प्रतीक, प्रकृति की सुषमा के अधिकारी ये ग्राम आज भी दीन-हीन और विपन्न दशा में हैं। _ग्रामीण जीवन की दयनीय दशा-किसी भारतीय ग्राम को देखिए तो धूल-भरी सड़कें हैं, जिन पर कूड़ा-करकट और नालियों का गंदा पानी फैला रहता है। कहीं नालियाँ होती भी हैं, तो कच्ची, जो कभी साफ नहीं होतीं। 


वहाँ सड़कों पर रोशनी का प्रबंध भी नहीं होता। कच्चे-पक्के कुओं और गंदे पानी से भरे कच्चे तालाब ही वहाँ पानी के स्रोत हैं। स्कूल और कालेज तो दूर, वहाँ प्राथमिक पाठशालाएँ भी नहीं हैं। इधर-उधर गड्ढों में पानी सड़ता रहता है। सर्वत्र दरिद्रता दृष्टिगोचर होती है। टूटे-फूटे और गंदे मकान होते हैं, जिनमें परिवार भी रहता है और पशु भी। किसानों के पास न पर्याप्त अन्न होता है, न कपड़ा। उनके बच्चे दरिद्रता में पैदा होकर दरिद्रता में ही मर जाते हैं। उनके ऊपर सदैव ऋण का बोझ बना रहता है, क्योंकि बेचारे कृषक अशिक्षित होते हैं। 


शिक्षा के अभाव में वे रूढ़िवादी भी हो गए हैं। उनके लिए चिकित्सा की सुविधा नहीं है। अत: वे और उनके पशु भिन्न-भिन्न प्रकार के रोगों से ग्रस्त रहते हैं। सरकार की नीति एवं परिस्थितियों के कारण ग्रामीण उद्योग-धंधे भी नष्ट हो गए हैं, अत: वहाँ दरिद्रता का भीषण रूप देखने को मिलता है। उनका सामाजिक जीवन झूठ, छल एवं ईर्ष्या से युक्त है। जरा-जरा-सी बात पर मुकदमेबाजी होती है। ग्रामों में असभ्यता व उजड्डपन दिखाई देता है। इस प्रकार वर्तमान ग्रामों का जीवन बहुत ही विषम और दयनीय हो गया है।


ग्रामोत्थान के सुझाव-स्पष्ट है कि जब गाँवों की ऐसी दशा है तो देश कैसे उन्नति कर सकता है। अत: देश की समृद्धि के लिए ग्रामोत्थान आवश्यक है और वैसे भी भारत के ग्रामों की उन्नति का अर्थ है भारत की तीन-चौथाई से भी अधिक जनसंख्या की उन्नति और इसका अर्थ है देश की उन्नति। अतः यह आवश्यक है कि ग्रामों की ओर ध्यान दिया जाए। सरकार को ग्रामीण कृषि एवं उद्योग-धंधों की उन्नति के लिए प्रयत्न करना चाहिए। किसानों के लिए नए यंत्र, उत्तम बीज व खाद इत्यादि की व्यवस्था की जानी चाहिए। इस प्रकार उनकी दरिद्रता दूर हो सकेगी। हमारे गाँवों का सर्वांगीण विकास होना चाहिए।


वहाँ स्वच्छता का विशेष प्रबंध होना चाहिए। ग्रामीणों की शिक्षा का प्रबंध तो सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है। सरकार को उनकी चिकित्सा एवं मनोरंजन की ओर भी ध्यान देना चाहिए।

हर्ष का विषय है कि हमारी पंचवर्षीय योजनाओं में ग्रामों का पूरा ध्यान रखा गया है। सरकार ने चकबंदी प्रारंभ कर दी है। बहुत से गाँवों में सड़कें बन रही हैं, विद्युत की व्यवस्था की जा रही है, शिक्षा का भी प्रचार हो रहा है। कृषकों को बीज और खाद ऋण के रूप में दिए जा रहे हैं। आशा की जा सकती है कि सरकार और समाज के प्रयास से हमारे ग्राम भारतीय संस्कृति के प्रतीक बनकर भारत को संपन्न करेंगे। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।