महंगाई पर निबंध | mahangai per nibandh

 

 महंगाई पर निबंध | mahangai per nibandh

नमस्कार  दोस्तों आज हम  महंगाई पर निबंध इस विषय पर निबंध जानेंगे। हमारे देश के सभी लोग दिनोंदिन बढ़ती महँगाई से बहुत परेशान हैं। महँगाई के तूफानी दौर में चीजों की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। निम्न तथा मध्यम वर्ग के लोगों की बड़ी दुर्दशा हो रही है। यहाँ तक कि देश की सरकार का सबसे बड़ा सिरदर्द यही है कि जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं की लगातार बढ़ती कीमतों पर अंकुश कैसे लगाया जाए।


आजादी मिलने के पहले देश की जनता ने बड़ी ऊँची-ऊँची कल्पनाएँ की थीं। लोग सोचते थे कि स्वराज्य मिलते ही देश से गरीबी और अभाव का वातावरण दूर हो जाएगा। चारों ओर संपन्नता और खुशहाली दिखाई देने लगेगी। लेकिन आजादी मिले पचास वर्षों से भी अधिक समय बीत गया पर महँगाई बढ़ती ही जा रही है। 


आज महँगाई के कारण लोग अपनी अनिवार्य आवश्यकताएँ भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं। इसके कारण सच्चाई, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा आदि नैतिक मूल्यों का बहुत तेजी से ह्रास होता जा रहा है। भ्रष्टाचार का राक्षस सारे देश को निगल जाने के लिए मुँह फैला रहा है। रोटी, कपड़े और मकान की समस्या विकट से विकटतर रूप धारण करती जा रही है। यह सब महँगाई का ही दुष्प्रभाव है।


महँगाई बढ़ने का मूल कारण है- देश की लगातार बढ़ती हुई जनसंख्या। हमारे देश में जनसंख्या-विस्फोट हो गया है। इस देश की जनसंख्या में प्रतिवर्ष आस्ट्रेलिया की जनसंख्या के बराबर नवजात शिशुओं की संख्या और जुड़ जाती है। जनसंख्या की यह भयानक वृद्धि, महँगाई रोकने की हमारी सारी योजनाओं पर पानी फेर देती है।


देश को आजादी मिलने के तुरंत बाद कश्मीर-समस्या को लेकर हमें पाकिस्तान के साथ युद्ध में उलझना पड़ा। १९६२ में चीन ने हमारे देश पर आक्रमण किया। इससे हमारी अर्थ-व्यवस्था को गहरा आघात लगा। इसके बाद पाकिस्तान के साथ १९६५ और १९७२ में हमें फिर युद्ध करने पड़े।


 सन २००० में हमें कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में पाकिस्तान के साथ पुनः युद्ध करना पड़ा। इन युद्धों के परिणामस्वरूप देश का प्रतिरक्षा-व्यय लगातार बढ़ता गया। देश की कुल आय का बहुत बड़ा हिस्सा प्रतिरक्षाकार्यों में खर्च होने लगा। इससे महँगाई निरंतर बढ़ती गई है।


१९४७ में जब हमें आजादी मिली, तो देश कृषि एवं उद्योग-धंधों की दृष्टि से बहुत पिछड़ा हुआ था। देश की प्रगति और विकास के लिए इन क्षेत्रों का विकास करना बहुत इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अनेक विकास-योजनाएँ शुरू करनी पड़ी। इन साकार करने में भी काफी पँजी लग गई। इस कारण भी महंगाई बढ़ती गई, महंगाई बढ़ने के दूसरे कारण हैं ।


हमारी सरकार की अव्यावहारिक नीतियाँ, सरकारी दफ्तरों की लालफीता शाही तथा बेईमान व्यापारियों और जमाखोरों की स्वार्थपरता। सरकारी कर्मचारियों की फौज के वेतन, पेन्शन आदि मदों पर असीमित खर्च किया जाता है।


 व्यापारी वस्तुओं पर अपने लाभ का प्रतिशत बढाते ही जा रहे हैं और जमाखोर अपने लाभ के लिए जरूरत की चीजों की नकली कमी पैदा कर देते हैं। इन कारणों से महँगाई की समस्या आर जटिल बन जाती है। महँगाई बढ़ने का एक कारण राजनीतिक दलों दवारा चुनावा क समय चंदा लिया जाना भी है।


किसी राजनीतिक दल के सत्तारूढ होते ही व्यापारी वस्तुओं के भाव बढ़ाकर जनता से चंदों में दिये हुए अपने पैसों की क्षतिपूर्ति करने लगते हैं और सरकार ऐसे मौकों पर अकसर चुप रह जाती है। यदि महँगाई को बढ़ने से रोकना है, तो देश की जनसंख्या-वृद्धि को नियंत्रित करना होगा। सरकारी नीतियों में व्यावहारिकता लानी होगी।


सरकारी दफ्तरों में व्याप्त भ्रष्टाचार मिटाना होगा। बेईमान व्यापारियों तथा जमाखोरों को उचित दंड देकर उन्हें अनुशासित करना होगा। समाज में नैतिक मूल्यों की प्रतिष्ठा करनी होगी। चुनावों पर होनेवाले अंधाधुंध खर्चों पर रोक लगानी होगी। जब तक इन उपायों द्वारा महँगाई रूपी राक्षसी को वश में नहीं किया जाता, तब तक आसमान छूती महँगाई से परेशान जनता कोसती रहेगी- 'महँगाई ! तुझे मौत न आई , दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।