राष्ट्र निर्माण में छात्रों का योगदान पर निबंध | Rashtra Nirman Me Vidhyarthiyo Ka Yogdan Par Nibandh

 

 राष्ट्र निर्माण में छात्रों का योगदान पर निबंध | Rashtra Nirman Me Vidhyarthiyo Ka Yogdan Par Nibandh

नमस्कार  दोस्तों आज हम  राष्ट्र निर्माण में छात्रों का योगदान पर निबंध  इस विषय पर निबंध जानेंगे।  प्रकृति के सभी अवयव शक्ति से युक्त हैं। नदी अपने प्रखर वेग से किनारों को तोड़ने की क्षमता संजोये हए रहती है तो सागर अपनी उत्ताल तरंगों से समस्त जल को मथकर फेनिन कर देने की असीम शक्ति अपने अन्दर छिपाए हुए रहता है। 


वायु तीव्र गति से चलने पर प्रभंजन का रूप ग्रहण कर बलशाली पेड़ों को भी जड़ से उखाड़ फेंकने की असीम शक्ति की स्वामी है, तो सूर्य अपनी प्रचण्ड अग्नि किरणों से हरे-भरे उपवन को भी जला डालने की योग्यता रखता है। मानव भी प्रकृति का ही पुत्र है, फिर भला उसमें शक्ति का अभाव क्यों हो सकता है? उसके छात्र जीवन में दुर्दमनीय शक्ति की अधिकता होती है। 


विद्यार्थी अवस्था की यह प्रचण्डता और दुर्दमनीयता वस्तुतः मानव को प्रकृति से ही वरदान के रूप में प्राप्त हुई है। छात्रावस्था की इस प्रचण्ड शक्ति को रोकना अथवा उस पर अंकुश लगाना तराजू में मेंढ़क तोलना है। इस शक्ति को दिशा तो दी जा रही है परन्तु इस पर अंकुश लगाना असम्भव ही नहीं बल्कि पत्थर की लकीर के बराबर है।


विद्यार्थी वर्ग का इस क्षेत्र में महत्व-विद्यार्थी देश की महान विभूतियों में से एक है। भले ही कोई दम्भ के वशीभूत इस वर्ग के महत्व को स्वीकारे, किन्तु यह सत्य है कि आज तक इस संसार में जितनी भी क्रान्तियां हुई हैं उस वर्ग ने उन क्रान्तियों को मंजिल मकसूद तक पहुंचाने में अपनी भूमिका मुख्य रूप से निभाई है। वैसे भी आज का छात्र कल का नेता हो सकता है। आने वाले समय में देश के नेतृत्व का भार उसी के कन्धों पर होगा। अतः इस वर्ग की शक्ति को जो ध्यान में नहीं रखकर देश की प्रगति के स्वप्न देखना ख्याली घोड़े दौड़ाना ही है।


राष्ट्र-निर्माण में छात्रों का योगदान-आज आजादी के 56 वर्ष बाद भी हमारे देश की प्रकृति अवरुद्ध है। इस प्रगति को मूर्त रूप देने में विद्यार्थी अपनी निर्णायक भूमिका अदा कर रहा है; जैसे शिक्षा के क्षेत्र में योगदान-यद्यपि हमारे देश की प्रगति के मार्ग में अशिक्षा एक बहत बड़ा अभिशाप बना हुआ है। यदि इस सन्दर्भ में हमारा छात्र वर्ग सहयोग दे तो यह निश्चित है कि हमारे देश की कितनी ही समस्याएं स्वयं ही समाप्त हो जाएंगी।


 हमारे छात्र वर्ग को चाहिये कि वह अनुशासनबद्ध होकर ठोस और क्रमबद्ध अध्ययन करे। उन तत्वों से बचे जो उन्हें गुमराह करके अनुशासनहीनता कुण्ठित मनोवृत्तियां और निराशा के गहन जंगल में ले जाकर और उनके साथ-साथ देश के भविष्य को भी अन्धकारमय बना रही है। इनके अतिरिक्त छात्रों से प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में भी अपूर्व सहयोग अपेक्षित है। अवकाश के क्षणों में गाँवों की यात्रा करके प्रौढ़ लोगों को शिक्षित करे जिन्होंने दुर्भाग्य से स्कूल और किताबों की शक्ल तक नहीं देखी है।


सामाजिक क्षेत्र में छात्रों का योगदान-यद्यपि आज का युग वैज्ञानिक युग कहलाता है। रेडियो एवं टेलीवीजन, अखबार और पत्र-पत्रिकायें देश और समाज को चेतनावान बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान रखती है। फिर भी भारतीय समाज बड़े पैमाने पर अनेक प्रकार की कुरीतियों तथा अन्धविश्वासों की श्रृंखलाओ से घिरा हुआ है। वहां के समाज में व्याप्त दहेज-प्रथा, जाति-प्रथा, वर्ण-व्यवस्था, वर्गभेद, मृत्युभोज और धर्म की आड़ में अनेक प्रकार के दुष्कर्म देश की नींव को खोखला कर रहे हैं। 


यदि आज का छात्र-वर्ग इन कुरीतियों और अन्धविश्वासों को दूर करके शोषणमुक्त और वर्ग-हीन समाज का निर्माण कर राष्ट्र-निर्माण में सहायता प्रदान करे। राजनीतिक क्षेत्र में निर्णायक भूमिका-कुछ लोग हैं, जो कि दिन-रात छात्रों को राजनीति से दूर रहने और निरन्तर अध्ययन करते रहने की शिक्षा देते हैं। राजनीति आज जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन गयी है, इसे जीवन से अलग करना किसी हृदयहीन व्यक्ति की कल्पना देखना होगा। 


आज हमारे देश में राजनीतिक क्षेत्र में अनेकानेक भ्रष्टाचार छिपे हुए हैं-रिश्वतखोरी, भाई-भतीजावाद, कुर्सीवाद और दल-बदल आदि इसके निम्न उदाहरण रहे हैं। इसी का परिणाम है कि हमारे देश की राजनीति इतनी भ्रष्ट हो चुकी है कि कोई भी सभ्य व्यक्ति इसकी बात करना भी अभिशाप समझता है। 


यदि हमारा छात्र समुदाय चाहे तो इस समूचे राजनीतिक भ्रष्टाचार और अराजकता की स्थिति से छुटकारा दिलाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर सकता है। वह राजनीति के क्षेत्र में छिपी हुई कथनी और करनी के अन्तर को समाप्त कर, देश की राजनीति को स्वच्छ और रचनात्मक रूप दे सकता है, परन्तु साथ ही इतना भी सत्य है कि इसके लिए हमारे छात्र-वर्ग को शान्ति, सहयोग और संगठन का सहारा लेकर इस क्षेत्र में स्वच्छता लानी होगी। उसे छात्र-संगठनों के द्वारा अनुशासनबद्ध होकर जनमत तैयार करना होगा। अन्यथा सीधी लड़ाई में तो अन्तर्विरोधों के भड़कने से देश के उहित होने का बड़ा खतरा बन सकता है।


आर्थिक क्षेत्र में योगदान-आर्थिक दृष्टि से भी हमारा देश अभी बहुत पिछड़ा हुआ देश है। इसी का परिणाम है कि देश में बड़े पैमाने पर गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी की समस्या उपलब्ध है। इस संदर्भ में भी हमारा छात्र-वर्ग बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर इस देश को उन्नति पर पहुंचा सकता है। 


हमारे विद्यार्थी-वर्ग को चाहिए कि वह देश की गरीबी मिटाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर ग्रामों की उन्नति के कार्यों में सहायता प्रदान करें। देखने में आया है कि अधिकांश ग्रामीण लोग अशिक्षित रहते हैं। यदि छात्र-वर्ग उन्हें खेती करने की नई तकनीक, नए साधनों से परिचित कराये तो देश की बहुत बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है।


 हमारा छात्र-वर्ग आज के विज्ञान और वैज्ञानिक शिक्षा से पूर्ण रूप से परिचित है यदि वह चाहे तो विज्ञान का सहारा लेकर देश की गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी से देश को सहज रूप से मुक्ति दिलाने में सहायक हो सकता है, परन्तु देखने में आया है कि विद्यार्थी पैतक धन्धे को त्याग कर केवल नौकरी के लिये ही शिक्षा का अध्ययन कर रहा है। 


अतः उसे अपने पैतक धन्धों को अपनाकर बढ़ती हुई बेरोजगारी से छुटकारा पा सकता है जो आज देश की उन्नति न होने का कारण बनी हुई है। किसी भी देश की आर्थिक खुशहाली में अल्प बचतों का महत्वपर्ण योग रहता है। हमारे छात्र-वर्ग को कॉलेज व स्कूलों में खुली संचायिका योजना में पूर्ण सहयोग प्रदान करना चाहिए।


सांस्कृतिक क्षेत्र में छात्र वर्ग का योगदान-संस्कृति देश की प्रगति की सूचक होती है। जिस देश की कोई संस्कृति नहीं होती वह मृतप्रायः देश होता है। हमारे देश की संस्कृति धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। आज हम अपने को भारतीय कहलाने में भी अपने अन्दर हीनता का भाव अनभव करते हैं। कहना न होगा कि आज का काल सांस्कृतिक संक्रमण का काल है। 


पुराने मूल्य ध्वस्त हो रहे हैं तथा नये मूल्य बन नहीं पा रहे हैं। इस संदर्भ में हमारे विद्यार्थी वर्ग को चाहिए कि वह यह मानकर चले कि हर पुरानी वस्तु त्यागने योग्य नहीं होती है और नयी वस्तु ग्रहण करने योग्य नहीं होती है। वे केवल ऐसे ही मूल्यों का विरोध करें, जो कि प्रगति के मार्ग में रुकावट का कारण बनें तथा ऐसे मूल्यों की स्थापना में सहयोग दें, जो प्रगतिशील हैं और समाज को उन्नतिशील बनाने में पूर्ण रूप से समर्थ हों।


देश की रक्षा में योगदान-हमारा देश जब प्रगति के मार्ग पर बढ़ रहा है तो इसकी रक्षा करना हम सबका परम कर्त्तव्य है। हमारा छात्र-वर्ग यदि चाहे तो देश की रक्षा का भार अपने कन्धों पर लेकर देश की रक्षा कर सकता है। वह अपने छात्र जीवन में ही एन०सी०सी० का प्रशिक्षण लेकर भविष्य में समय पड़ने पर देश की रक्षा में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान कर सकता है। इसके अतिरिक्त वह वैज्ञानिक अध्ययन के बल पर आधुनिक हथियारों और इस प्रकार के उपकरणों का आविष्कार कर सकता है जो देश की रक्षा हेतु महत्वपूर्ण स्थान रखते हों।


उपसंहार-यह है कि छात्र वर्ग देश की अमूल्य सम्पदा है। उनकी शक्ति को नजरों से ओझल नहीं किया जा सकता। देश का भावी इतिहास इसी वर्ग को पूरा करना है और आने वाली भारत की सभी जिम्मेदारियों को पूर्ण रूप से निभाना है। यह वर्ग अनुशासनबद्ध होकर भावुकता और कल्पना को त्यागकर यथार्थवादी धरातल पर विचरण करे तो निःसन्देह देश के नव-निर्माण में अपनी अपूर्व भूमिका अदा कर सकता है। इतना ही नहीं, उचित दिशा-निर्देश मिलने पर यही विद्यार्थी वर्ग ऐसे देश का निर्माण कर सकता है, जो आज केवल स्वप्नों का भारत कहा जा सकता है। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।