सड़क की आत्मकथा निबंध हिंदी | sadak ki atmakatha essay in hindi

 

सड़क की आत्मकथा निबंध हिंदी | sadak ki atmakatha essay in hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम सड़क की आत्मकथा निबंध हिंदी इस विषय पर निबंध जानेंगे। आज मैं कितनी लंबी-चौड़ी हूँ ! लेकिन पहले मैं ऐसी नहीं थी। मेरी आत्मकथा सुनने लायक है। सुनोगे? अच्छा, तो सुनो तुम रोज मुझ पर साइकिल चलाते हुए विद्यालय जाते हो और शाम को लौटते हो। तुम्हारा मेरा रोज का नाता है। फिर भी शायद ही कभी तुमने मेरे बारे में सोचा हो। लेकिन मैं तुम्हारे बारे में अवश्य सोचती हूँ। इसका कारण यह है कि मुझ पर तुम्हारे पिताजी के बहुत-से उपकार हैं। उन्होंने ही मेरा कायाकल्प करवाया है।



पहले मैं एक लंबी-सँकरी पगडंडी के रूप में थी। मेरे दोनों ओर खेत थे। लोग मुझ पर से पैदल आया-जाया करते थे। तुम्हारे पिता ने मेरे दोनों ओर बसे गाँवों के लोगों से संपर्क किया। सबसे आग्रह किया कि वे मुझे चौड़ी सड़क का रूप देने में सहयोग करें। सब लोग सहमत हो गए। मैं चौड़ी बना दी गई।


 फिर मुझ पर से बैलगाड़ियाँ और साइकिलें गुजरने लगीं। कुछ लोगों ने इक्के बनवाए और घोड़े खरीदे। सुबह-शाम इक्के भी मुझ पर होकर आने-जाने लगे। परंतु मेरे कच्चेपन के कारण सबको कष्ट होता था। मेरा शरीर भी बरी तरह घायल हो जाता था। गाड़ियों के पहिये मुझ में धंस जाया करते थे।


तुम्हारे पिता ने जिला बोर्ड के अधिकारियों से मुलाकात की। उनके प्रयासों के फलस्वरूप मुझ पर कंकड़ डाले गए और मुझमें थोड़ी मजबूती आई। परंतु इससे न तो मेरे कष्ट दूर हुए, न मुझ पर से गुजरनेवालों के। एक बार चुनाव प्रचार करते हुए कुछ लोग मुझ पर से गुजरे। तुम्हारे पिताजी ने उनके नेताजी का ध्यान मेरी दुरवस्था की ओर आकर्षित किया। फिर तो जैसे चमत्कार हो गया। 


नेताजी की कृपा से कुछ ही दिनों में एक पक्की सड़क में मेरा रूपांतर हो गया। इससे इस क्षेत्र में लोगों का आवागमन बहुत बढ़ गया। बड़े-बड़े वाहन मुझ पर दौड़ने लगे। मेरे दोनों किनारों पर पक्के मकान खड़े हो गए और कई दुकानें बन गईं।


अब तो मेरे किनारे-किनारे पेड़ लगाकर हरियाली भी कर दी गई है। तीन-तीन जगह अलग-अलग दिनों को बाजार भी लगता है। गाँवों से आकर लोग उन बाजारों में तरह-तरह की चीजें खरीदते और बेचते हैं। मेरे कारण आसपास के गाँवों तक पंचवर्षीय योजनाओं का लाभ भी पहुँच रहा है।


मेरे किनारे, तुम्हारे विद्यालय के निकट एक डिग्री कॉलेज भी बन गया है। मेरे किनारे बने देवी माँ के मंदिर के समीप ही एक बड़े अस्पताल का निर्माण हो रहा है। सरकार की ओर से इस ग्रामीण क्षेत्र में विकास के अनेक कार्यक्रम शुरू कर दिए गए हैं। उन्हें कार्यान्वित करने की दिशा में मैं भरपूर योगदान देती रहती हूँ। मुझे बहुत खुशी है कि इस क्षेत्र की जनता के लिए मैं बहुत उपयोगी साबित हुई हूँ।


अब मेरे नजदीक के रेलवे स्टेशन पर रात की गाड़ी से उतरनेवाले मुसाफिरों को प्लेटफार्म पर रात नहीं बितानी पड़ती। वे निडर होकर मुझ पर से चल पड़ते हैं। जो लोग इक्के या रिक्शे का उपयोग करना चाहते हैं, उन्हें ये वाहन भी आसानी से मिल जाते हैं।


इस क्षेत्र की जनसंख्या बढ़ने के साथ ही मेरे किनारे दो-तीन पुलिस चौकियाँ भी बना दी गई हैं। इसलिए मुझ पर से गुजरनेवालों को अपनी सुरक्षा की चिंता नहीं रहती। हर समय मुझ पर से लोगों का आना-जाना लगा रहता है। इससे मुझे भी पहले की तरह सूना-सूना नहीं लगता। __तुम यह जानकर खुश होंगे कि अब मुझे उस चौराहे से जोड़ा जा रहा है, जहाँ तीन जिलों से आने वाली चौड़ी-चौड़ी सड़कें मिलती हैं। अपनी बड़ी बहनों से मिल जाने पर मेरा महत्त्व और भी बढ़ जाएगा।


एक सड़क की हैसियत से मैं तुम्हें आशीर्वाद देती हूँ कि तुम्हारी जिंदगी की राहें आसान बनें और तुम भी अपने पिताजी की तरह एक समाजसेवी बनो। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।