औद्योगिक उत्पादन में विज्ञान का योगदान हिंदी निबंध | science contribution in industrial production essay in hindi

 

औद्योगिक उत्पादन में विज्ञान का योगदान हिंदी निबंध  | science contribution in industrial production essay in hindi

 नमस्कार  दोस्तों आज हम औद्योगिक उत्पादन में विज्ञान का योगदान हिंदी निबंध इस विषय पर निबंध जानेंगे। वर्तमान युग में चारों ओर विज्ञान का डंका बज रहा है। शिक्षा और मनोरंजन, यातायात और परिवहन, चिकित्सा और आरोग्य, सभी क्षेत्रों में विज्ञान की तूती बोल रही है। विज्ञान ने आम आदमी के सोचने-विचारने के ढंग को ही बदल दिया है। कल का धर्मभीरु और अधविश्वासी व्यक्ति आज तर्कप्रिय और बदधिवादी बन गया है। अन्य क्षेत्रों की भाँति विज्ञान ने उद्योग-धंधों के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है। इसके फलस्वरूप औद्योगिक क्षेत्र का बहुत विकास हुआ है।


विज्ञान ने वस्त्रोद्योग के क्षेत्र में महान परिवर्तन कर दिया है। इस क्षेत्र में विज्ञान के प्रवेश के पहले तकली और चरखे की मदद से सूत काता जाता था और हाथ करघे पर कपड़ा बुना जाता था। कई दिनों तक बहुत मेहनत करने के बाद थोड़ा-सा कपड़ा तैयार होता था, जो लोगों की माँग पूरी करने की दृष्टि से अपर्याप्त होता था। अब विज्ञान की मदद से अनेक प्रकार की मशीनें बन गई हैं, जिनके द्वारा कारखानों में कम समय में बहुत बड़ी मात्रा में कपड़ा बनने लगा है। अब मानव-निर्मित धागों का भी आविष्कार हो गया है, जिनके कारण वस्त्रोद्योग के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति आ गई है।


लौह-इस्पात उद्योग के क्षेत्र में वैज्ञानिकों ने ऐसी-ऐसी भट्ठियों और मशीनों का आविष्कार किया है, जिनकी मदद से लौह-अयस्क से लोहा निकाला जाता है और उसमें मैंगनीज़ आदि मिलाकर इस्पात बनाया जाता है। विज्ञान की मदद से अनेक प्रकार का इस्पात या स्टील तैयार किया जाता है। लौह-इस्पात उद्योग अन्य सभी उद्योगों का आधार है। किसी राष्ट्र की औद्योगिक प्रगति का मूल्यांकन उसके द्वारा लौह-इस्पात उत्पादन की मात्रा के आधार पर ही किया जाता है।



पराने जमाने में कागज हाथ से बनाया जाता था। वह निम्न कोटि का होता था और उसका उत्पादन भी बहुत कम मात्रा में होता था। उस जमाने में पुस्तके भी हाथ से ही लिखी जाती थीं। अत: शिक्षा के प्रसार की गति बहुत ही धीमी थी। आज विज्ञान की मदद से कागज बनाने के बड़े-बड़े कारखाने खड़े हो गए हैं। पुस्तकों, समाचारपत्रों आदि की छपाई के लिए विभिन्न प्रकार की मशीनें बन गई हैं। विज्ञान के योगदान के फलस्वरूप सीमेंट, रंग-रसायन, प्लास्टिक आदि के औद्योगिक क्षेत्रों का भी बहुत विकास हुआ है।



इन उद्योगों में लगी मशीनों को चलाने के लिए बहुत बड़ी मात्रा में ऊर्जा की जरूरत होती है। इस जरूरत को पूरी करने के लिए बड़े-बड़े जलविद्युत केंद्रों की स्थापना की गई है। इन विद्युत केंद्रों में बड़े पैमाने पर जलविद्युत पैदा की जाती है। कोयले से बिजली पैदा करने के लिए औष्णिक विद्युत केंद्र (थर्मल पावर स्टेशन) बनाए गए हैं। कई स्थानों पर अण विद्युत केंद्र भी स्थापित किए गए हैं। खनिज तेल शुद्ध कर उससे पेट्रोलियम प्राप्त करने के लिए बड़े-बड़े कारखाने स्थापित किए गए हैं। 


उनसे पेट्रोल के अलावा दूसरे पेटो-रसायन भी मिलते हैं। उनके आधार पर रासायनिक उर्वरक तैयार करने के विशाल कारखाने लगाए गए हैं। विज्ञान के ही सहयोग से विभिन्न प्रकार के शस्त्रास्त्र, मोटरें, रेलगाडियों के इंजन और डिब्बे, हवाई जहाज, टेलीफोन, घड़ियाँ आदि बनाने के कारखाने स्थापित किए गए हैं, जिनमें हजारों कर्मचारी काम करते हैं।


विज्ञान ने औद्योगिक क्षेत्र में श्रम-विभाजन को चरम सीमा पर पहुँचा दिया है। इसके फलस्वरूप असंख्य लोगों को रोजगार मिलने लगे हैं। विभिन्न उद्योगों के क्षेत्रों में वैज्ञानिक खोज करने के लिए अलग से शोध एवं विकास-संस्थान स्थापित हो रहे हैं। अब तो वैज्ञानिक भी उद्योगों की जरूरतों के अनुसार शोध कार्य तथा आविष्कार करने लगे हैं। इस प्रकार, औद्योगिक विकास में विज्ञान का योगदान लगातार बढ़ता जा रहा है। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।