चिकित्सा में विज्ञान का योगदान हिंदी निबंध | science in medical field essay in hindi

 

 चिकित्सा में विज्ञान का योगदान हिंदी निबंध | science in medical field essay in hindi

नमस्कार  दोस्तों आज हम चिकित्सा में विज्ञान का योगदान हिंदी निबंध इस विषय पर निबंध जानेंगे। किसी विषय के क्रमबद्ध और व्यवस्थित ज्ञान को 'विज्ञान' कहते हैं। विज्ञान के अंतर्गत तथ्यों, घटनाओं, नियमों तथा उनके कारणों की छानबीन की जाती है। संबंधित विषय के बारे में व्यवस्थित सोच-विचार, नियंत्रित प्रयोगों तथा प्रत्यक्ष निरीक्षण द्वारा जानकारी प्राप्त की जाती है। इस प्रकार, विज्ञान का मानव-जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है।


मनुष्य का शरीर, एक प्रकार से, रोगों का घर ही है। जब तक मनुष्य के शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति प्रबल रहती है, तब तक वह स्वस्थ और ताकतवर बना रहता है। शक्ति क्षीण होने लगती है, त्योंही विभिन्न रोगों के कीटाणु या विषाणु उसके पर अधिकार जमा लेते हैं। तब वह रोगी हो जाता है। रोगी व्यक्ति अपने आसपास के लोगों को भी चिंतित बना देता है। यदि ठीक समय पर उसकी उचित । उसकी जीवन-लीला समाप्त हो जाने का भय रहता है।


आरोग्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान ने अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। कुछ ही वर्षों पूर्व तक हैजा, प्लेग, चेचक, मलेरिया, क्षय आदि बीमारियाँ असाध्य समझी जाती थीं। वैज्ञानिकों ने दिनरात कठोर परिश्रम कर इन बीमारियों की रामबाण औषधियाँ खोज निकाली और मानव जाति को इन रोगों से छुटकारा दिलाया। पागल कुत्तों के काटने से होनेवाला हाइड्रोफोबिया' नामक प्राणघातक रोग हर साल हजारों लोगों की जान ले लेता था। 


डा. लुई पाश्चर ने अपने प्राण संकट में डालकर इस रोग का टीका तैयार किया। १९२१ में पारस के वैज्ञानिकों ने क्षय रोग का टीका तैयार करने में सफलता पाई। १९५४ में अमेरिका के वैज्ञानिकों ने पोलियो का टीका खोज निकाला।

पुराने जमाने में शरीर के भीतरी भागों की जानकारी प्राप्त करने का कोई साधन उपलब्ध नहीं था। आज 'क्ष' किरण की मदद से शरीर के भीतरी भागों की जानकारी आसानी से प्राप्त हो जाती है। 'सोनोग्राफी' द्वारा पेट के आंतरिक भागों की जानकारी मिल जाती है। इससे रोगों का निदान करने और उनका इलाज करने में बहुत सुविधा हो गई है। रोग पैदा करनेवाले जीवाणुओं का पता लगाने के लिए शारीरिक परीक्षण की पैथालाजिकल पदधतियाँ खोज निकाली गई हैं। विभिन्न रोगों के जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए प्रतिजैविकी औषधियों का भी निर्माण किया गया है।

शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में भी विज्ञान ने बहुत प्रगति की है। अपंगों के लिए कृत्रिम मानव-अंगों का निर्माण किया गया है। अब मनुष्य की त्वचा, गर्दे, रक्त कोशिकाओं, अस्थिमज्जा, यहाँ तक कि हृदय का भी प्रत्यारोपण किया जाने लगा है। यदि मानव-अंग उपलब्ध न हों, तो कृत्रिम अंगों का प्रत्यारोपण किया जाता है। अब शल्यचिकित्सा द्वारा 'बाई पास सर्जरी' का सहारा लेकर हृदयरोगियों को नया जीवन दिया जाने लगा है।


 दूसर व्यक्ति की आँख लगाकर (कॉर्निया ट्रांसप्लांट) अंध व्यक्तियों को नेत्रज्योति प्रदान की जाती है। प्लास्टिक सर्जरी द्वारा कुरूप व्यक्तियों को सुंदर रूप प्रदान किया जाता है। इसके अलावा कई नए वैज्ञानिक यंत्रों का भी निर्माण कर लिया गया है। इनके प्रयोग से शल्यक्रिया किए बिना ही शरीर के भीतरी भागों की खराबियाँ दर की जाने लगी हैं।


आज मनष्य का जीवन अत्यंत व्यस्त और तनावपर्ण बन गया है। उदयोग-धंधा क अधिकाधिक विकास के कारण प्रदूषण तेजी से बढ़ता जा रहा है। जनसंख्या की असीमित प्रदधि के फलस्वरूप लोगों का जीवन-स्तर गिरता जा रहा है। अणु-परीक्षणों के कारण वायुमंडल में रेडियो-सक्रियता बढ़ रही है। इन कारणों से अनेक प्रकार के मानसिक रोगों, चर्मरोगों, कैन्सर तथा एड्स जैसे असाध्य रोगों का तेजी से प्रसार हो रहा है। किंत वैज्ञानिक भी इन रोगों पर विजय प्राप्त करने के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।