यदि हममें एकता न होती हिंदी निबंध | yadi hamme ekta n hoti hindi nibandh

 

यदि हममें एकता न होती हिंदी निबंध | yadi hamme ekta n hoti hindi nibandh

नमस्कार  दोस्तों आज हम  यदि हममें एकता न होती हिंदी निबंध इस विषय पर निबंध जानेंगे। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का संसार के देशों में सातवाँ स्थान है। जनसंख्या की दष्टि से इस देश का विश्व में दूसरा स्थान है। विशालता एवं विविधता के कारण ही इस देश को उपमहाद्वीप' की संज्ञा दी गई है। इस विशाल देश में निवास करनेवाले सभी लोगों से आत्मीयता रखना तथा उनके सुख-दुख को अपना ही सुख-दुख समझना हमारी एकता का असली स्वरूप है।



हमारे देश में हिंदू, इस्लाम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध आदि अनेक धर्मों के अनुयायी हते हैं। इस देश में कहीं ऊँचे पर्वत हैं, तो कहीं समतल मैदान हैं। कहीं दूर-दूर तक फैले पठार हैं, तो कहीं पहाड़ियाँ और नदियों की गहरी घाटियाँ हैं। अलग-अलग प्रदेशों में भिन्न-भिन्न प्रकार की जलवायु पाई जाती है।



इस देश के संविधान में उन्नीस भाषाओं को नीबदध किया गया है। इनके अतिरिक्त, यहाँ सैकड़ों उपभाषाएँ तथा बोलियाँ बोली जाती है इतनी विविधता के बावजूद यहाँ के निवासियों के हृदय में भारतीयता का जो सूत्र व्यमान है, वही इस देश की एकता बनाए हुए है। यदि यह एकता-सूत्र न होता, तो देश के टुकड़े-टुकड़े हो गए होते।



इस देश में भिन्न-भिन्न धर्मों के अनुयायियों के बीच टकराव होता रहता है। कभी दंगे-फसाद और रक्तपात तक की नौबत आ जाती है। आशंका होने लगती है कि



अत्यधिक त्याग और बलिदान से हासिल की गई आज़ादी पर कहीं आँच न आ जाए और देश के टुकड़े-टुकड़े न हो जाएँ। किंतु अनेक तत्त्वों के योग से एक भारतीय संस्कृति बन गई है, जो देश की एकता को अखंडित बनाए रखती है। 


यदि यह भारतीय संस्कृति न होती, तो हमारी एकता खंडित हो गई होती और संसार के मानचित्र पर से भारत देश का नाम ही मिट गया होता।



हमारे देश का इतिहास साक्षी है कि जब-जब हममें एकता का अभाव हुआ, विदेशी आक्रमणकारी अपनी योजना में सफल हुए और उन्हें इस देश में पैर जमाने का मौका मिला। एकता के अभाव के कारण ही लगभग डेढ-सौ वर्षों तक हमें अंग्रेजों की दासता में रहना पड़ा।



अंत में, जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में सारी भारतीय जनता एकजुट होकर आज़ादी की लड़ाई में कूद पड़ी, तब अंग्रेज अपना बोरिया-बिस्तर बाँधकर इस देश से जाने को मजबूर हो गए और हमें अपनी खोई हुई आज़ादी मिली।


 यदि हममें एकता न आई होती, तो अब तक हमारा देश गुलामी की जंजीरों में ही जकड़ा रहता। आज़ादी मिलने के बाद हमारे देश ने हर क्षेत्र में प्रगति की है। आज़ादी मिलने के समय हमारे देश के निवासियों की औसत आयु केवल ३२ वर्ष थी। आज यह आयु ६२ वर्ष हो चुकी है। सन १९४७ में इस देश में साक्षरता १८.३३ प्रतिशत थी। सन २००१ में यह दर ६५.३८ प्रतिशत तक पहुंच चुकी है।



जब हमारे देश को आजादी मिली, तो यहाँ की जनता का पेट भरने के लिए हमें दूसरे देशों से अनाज मँगाना पड़ता था। 'हरित क्रांति' की तकनीक अपनाकर खाद्यान्नों के मामले में हम आत्मनिर्भर हो गए हैं। इतना ही नहीं, हम दूसरे देशों को भी अनाज भेजने लगे हैं।



उद्योग-धंधों के क्षेत्र में भी हमने आशातीत प्रगति की है। आज विश्व के औद्योगिक देशों में भारत ऊँचे स्थान पर पहुँच चुका है। यदि हममें एकता न होती, तो डेढ़-सौ वर्षों तक गुलाम रहे इस देश में इस प्रकार की प्रगति न हो पाती और यह देश आजतक साँपों, मदारियों और राजा-महाराजाओं का देश ही बना रहता।




आजादी मिलने के बाद हमारे देश को पड़ोसी देशों से कई बार लडाई लडनी पडी। हमारे देश ने इन सभी हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया और साथ-साथ अपने कारखानों और खेतों में औद्योगिक तथा कृषि उत्पादन की दर में वृद्धि भी करता रहा। यदि हममें एकता न होती, तो ये हमलावर अपने उद्देश्य में कामयाब हो गए होते और हमारा देश अनेक टुकड़ों में बिखर गया होता।



कभी-कभी देश के किसी कोने में अलगाववादी शक्तियाँ सिर उठाती हैं। तब देश की एकता टूट जाने का डर पैदा हो जाता है। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ये अलगाववादी शक्तियाँ अपने उद्देश्य में कामयाब न होने पाएँ, 


वरना देश की एकता और संप्रभुता मिट्टी में मिल जाएगी और हमारा विकासशील देश अन्य देशों के मुकाबले प्रगति की दौड़ में पिछड़ जाएगा। दोस्तों ये निबंध आपको कैसा लगा ये कमेंट करके जरूर बताइए ।